न्यूज़ डेस्क
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टॉलिन का जन्मदिन बड़े धूमधाम से बुधवार को बड़े धूमधाम से मनाया गया। देश के कई नेता उन्हें बधाई देने पहुंचे। बाद में रैली को कई नेताओं ने संबोधित भी किया। इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे पहुंचे तो फारुख अब्दुल्ला भी पहुंचे। राजद नेता तेजस्वी पहुंचे साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी रैली को सम्बोधित किया। सबसे बड़ी बात कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कही। उनका बड़ा बयान था। खड़गे ने एक तरह से कांग्रेस की दावेदारी से पीछे हटते हुए कहा है कि कांग्रेस ने कभी नहीं कहा कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा। उन्होंने एक बार फिर अपनी बात दोहराई कि अगले लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए। हालांकि कांग्रेस के कई नेता कह चुके हैं कि विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस करेगी और राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे। खड़गे के इस बयान के बाद अब माना जा सकता है कि विपक्षी एकता की दिशा में पहल की जाएगी। सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक बहुत जल्द ही सभी सामान विचारधारा वाले दल एकता को लेकर बैठक करेंगे। हालांकि अभी भी एकता को लेकर कई पेंच हैं।
रैली को सम्बोधित करते हुए नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री पद की बात छोड़ते हुए कहा कि कई नेता हैं, जो अगले चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने एमके स्टालिन से भी कहा है कि उनको राष्ट्रीय नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने खड़गे को संबोधित करते हुए कहा कि अभी यह बात छोड़ते हैं कि कौन पीएम बनेगा। पहले चुनाव जीतते हैं फिर तय करेंगे कि कौन पीएम बने। फारुख अब्दुल्ला के भाषण के बाद अब यह भी सामने आया कि दक्षिण भारत से पीएम के दो उम्मीदवार सामने आ गए हैं। केसीआर पहले से ही गैर बीजेपी ,गैर कांग्रेस मोर्चा की चाहत रखते हैं और खुद को पीएम उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। फारुख अब्दुल्ला ने अब स्टॉलिन को भी पीएम उम्मीदवार होने की बात कह दी है।
फारूख अब्दुल्ला ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के लिए एक संयुक्त चुनौती की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संवाददाताओं से यह बात कही। यहां पर उन्होंने यह भी कहा बीजेपी को हराने के लिए सबको एक साथ आना होगा। उन्होंने कहा, “जब हम सभी एकजुट होंगे और जीतेंगे, उस समय (संयुक्त विपक्ष) तय करेंगे कि देश का नेतृत्व करने और एकजुट करने के लिए सबसे योग्य व्यक्ति कौन है।” फारुख अबदुल्ला इससे पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर उनको भी समर्थन दे चुके हैं। यात्रा में शामिल होने के दौरान उन्होंने राहुल गांधी की खूब तारीफ की थी, और अपने पुराने दिनों को भी याद किया था।
यह पहली बार है जब एमके स्टालिन का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाया गया हो। इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर इस मुहिम में लगे हुए थे, जबकि वे खुद को इस पद के दावेदार के रुप में प्रस्तुत कर रहे हैं। जबकि, स्टालिन के नाम को आगे कर फारूख अब्दुल्ला ने विपक्षी एकता को नए सिरे से हवा दी है। इससे पहले जो संयुक्त विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार माने जा रहे थे उसमें केसीआर के अलावा ममता बनर्जी, नीतिश कुमार प्रमुख हैं। लेकिन ममता बनर्जी फिलहाल इस मामले में शांत हैं, उनकी तरफ से ऐसे किसी गठबंध में जाने की संभावनाएं भी नहीं जताई हैं।
बीते सोमवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से विपक्षी एकता की बात जोर-शोर से उठाई जा रही है। विपक्षी एकता के अभी तक के प्रयासों में क्षेत्रीय दलों के नेता ही सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं, जबकि सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी इस मसले पर शांत है। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार विपक्षी एकता के प्रयास शुरु करने के लिए कांग्रेस को लगातार कहते रहे हैं। ज्ञात होकि बिहार सरकार चला रहे गठबंधन में राजद के अलावा कांग्रेस भी शामिल है।
अब जब कांग्रेस सार्वजानिक मंच से खड़गे यह कह गए हैं कि विपक्षी एकता जरुरी है और कांग्रेस पीएम पद की उम्मीदवारी का दावा नहीं करती है तब इस बात की संभावना ज्यादा बढ़ गई है कि एकता को लेकर जल्द ही पहल की जाएगी।

