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दिल्ली में आजादी के बाद से अब तक मात्र सात विधानसभा चुनाव, जानिए क्या है मामला…

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न्यूज डेस्क
दिल्ली.. कोई इसे हिंदुस्तान का दिल कहता है,कोई राजधानी और कोई गैस चैंबर तो कोई राजनीति का अखाड़ा। जितने दिल उतने दिल्ली के नाम…आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 1947 में आजाद हुए भारत की इस राजधानी में अब तक सात बार ही विधानसभा चुनाव हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि दिल्ली में पिछले 76 साल में महज सात ही विधानसभा चुनाव हुए। आइये जानते हैं कि आखिर ये मामला क्या है।

शुरुआत करते हैं देश की आजादी से, 1947 में हमें आजादी मिली और शुरू हुआ देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का गठन। 7 मार्च 1952 को पहली बार दिल्ली में विधानसभा का गठन किया गया। यह गठन हुआ सरकार के राज्य अधिनियम 1951 पार्ट सी के तहत और इसका गठन किया था तत्कालीन गृह मंत्री कैलाश नाथ काटजू ने। उस वक्त दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें नहीं थी, इसमें सिर्फ 48 सीटें थीं। 1952 में दिल्ली ने पहली बार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान किया उस वक्त देश में कांग्रेस की लहर थी,दिल्ली के दिल में भी कांग्रेस ही बसी ​थी। 48 में से 39 सीटें जीतकर कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और चौधरी ब्रहम प्रकाश दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बनें। इसी सरकार में गुरमुख निहाल ने दिल्ली के दूसरे मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला।

एक अक्टूबर 1956 को दिल्ली विधानसभा भंग कर दी गयी। सितंबर 1966 में विधानसभा की जगह 56 निर्वाचित और 5 मनोनीत सदस्यों वाली एक मेट्रो पोलिटियन काउंसिल बनी। यह काउंसिल राज्यपाल को रिपोर्ट करती थी लेकिन इसकी भूमिका महज एक सलाहकार की थी। इस परिषद के पास कानून बनाने के लिए कोई शक्ति नहीं थी। 1993 तक दिल्ली में यही प्रक्रिया जारी रही।

बिना किसी सरकार के दिल्ली 35 साल गुजार चुकी थी। साल 1991 में देश के संविधान में उन्हतरवां (69वां) संविधान संशोधन किया गया। इसके बाद दिल्ली में दोबारा विधानसभा का गठन किया गया जिसमें 70 सीटें तय की गयी। साथ ही दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया। इसके बाद 1993 में दिल्ली में दूसरी बार विधानसभा चुनाव हुए। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में 49 सीटों पर जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी। कांग्रेस के खाते में केवल 14 सीटे गयी। जनता दल को 4 और निर्दलियों ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की। दिल्ली को पूर्ण बहुमत की सरकार तो मिली लेकिन उसने पांच साल में तीन मुख्यमंत्री देखे। सबसे पहले मदन खुराना मुख्यमंत्री बने, फरवरी 1996 में साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया,अक्टूबर 1998 में सुषमा स्वराज को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी थीं। भाजपा ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और 1998 में चुनावों की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन इस बार दिल्ली ने उसका साथ नहीं दिया। भाजपा ने सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया था जबकि कांग्रेस ने उनके मुकाबले में शीला दीक्षित को उतारा था। इस चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी जबकि भाजपा महज 15 सीटों पर ही सिमट गयी। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नेतृत्व में 47 सीटें जीतकर दिल्ली में दोबारा सरकार बनायी। भाजपा को इस बार 20 सीटों पर जीत हासिल हुई। 2008 में भी कांग्रेस का राज बरकरार रहा और 43 सीटें जीतकर दिल्ली में सरकार बनायी। जबकि भाजपा के खाते में 23 सीटें आयी।

साल 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम हुए इसमें करोड़ो रुपये के घोटाले की खबरें आयी जिसमें शीला दीक्षित की छवि को तगड़ा नुकसान पंहुचाया। यह वही दौर था जब भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना हजारे अनशन पर बैठे और जन्म हुआ आम आदमी पार्टी का। 2013 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली ने कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया, भाजपा 31 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी तो बनी लेकिन आम आदमी पार्टी ने 28 सीटें जीतकर तहलका मचा दिया। वहीं कांग्रेस सिर्फ 8 सीटों पर सिमट गयी। आम आदमी पाटी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनायी और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने,हालांकि ये सरकार महज 49 दिन ही चल पायी और केजरीवाल ने कांग्रेस और भाजपा पर काम न करने देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

साल 2015 में छठे विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में 67 सीटें जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। भाजपा सिर्फ तीन सीटे ही जीत पायी जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। अरविंद केजरीवाल दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की। भाजपा को इस बार आठ सीटों पर जीत हासिल हुई ज​बकि कांग्रेस इस बार भी खाता नहीं खोल पायी। दिल्ली शराब घोटाले और मनी लॉंड्रिंग के आरोप में घिरी आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली सरकार में रहे मंत्री सत्येंद्र जैन को जेल की सजा हुई,तीनों को जमानत पर रिहा गया है। जेल से सरकार चलाने वाले अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आते ही इस्तीफा दिया और आतिशी मार्लेना को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया।

दिल्ली में मुफ्त की सौगात का चलन अरविंद केजरीवाल ने शुरू किया। केजरीवाल ने दिल्ली में मुफ्त बिजली और पानी का वादा करके 2015 और 2020 का चुनाव जीता था। हालांकि देश में इसकी शुरुआत तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता ने की थी। उन्होंने मुफ्त साड़ी, प्रेशर कुकर जैसी चीजें देकर इस चलन की नींव रखी थी। आपको बता दें दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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