न्यूज डेस्क
दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 18 फरवरी को 12 चीतों का दूसरा जत्था पहुंचेगा। दक्षिण अफ्रीकी चीते सबसे पहले शनिवार सुबह मध्य प्रदेश में ग्वालियर वायु सेना के अड्डे पर पहुंचेंगे और 30 मिनट बाद उन्हें भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा लगभग 165 किमी दूर श्योपुर जिले के केएनपी पहुंचाया जाएगा।
बता दें कि भारत और दक्षिण अफ्रीका ने जनवरी में अफ्रीकी देश से चीतों को लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था और उन्हें कूनो में फिर से बसाया था। दुनिया के अधिकांश 7,000 चीते दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में रहते हैं। नामीबिया में चीतों की सबसे अधिक आबादी है। चीता एकमात्र ऐसा मांसाहारी जीव है जो मुख्यत: अत्यधिक शिकार एवं आवासन की कमी के कारण भारत से पूरी तरह से विलुप्त हो गया है।
भारत में आखिरी चीता 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में मृत पाया गया था। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा, ‘फरवरी में इन 12 चीतों के आने के बाद अगले आठ से 10 साल में सालाना 12 चीतों को देश में लाने की योजना है। समझौता ज्ञापन की शर्तों की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए हर पांच साल में इसकी समीक्षा की जाएगी।’ भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तैयार ‘भारत में चीता पुनर्वास कार्य योजना’ के अनुसार, नयी चीता आबादी स्थापित करने के लिए आदर्श लगभग 12-14 चीते शुरुआती पांच साल के लिए और बाद में आवश्यकतानुसार दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से आयात किए जाएंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से आए पांच मादा एवं तीन नर समेत आठ चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन के अवसर पर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक बाड़े में पृथक-वास में छोड़ा था।