विकास कुमार
देश में विपक्षी एकता को साधने चले नीतीश बाबू के गठबंधन की गांठ बिहार में ही खुलती नजर आ रही है। हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी ने कैबिनेट से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार को बड़ा झटका दिया है। संतोष माझी का कहना है कि नीतीश बाबू की तरफ से पार्टी को जेडीयू में विलय कराने का दबाव था। लेकिन किसी भी सूरत में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का वजूद कायम रखा जाएगा।
वहीं संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया हैं लोजपा रामविलास के नेता चिराग पासवान ने नीतीश बाबू पर दलितों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है। चिराग ने कहा कि एक तरफ पूरे विपक्ष को एकजुट करने में नीतीश बाबू लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके खुद के कुनबे की गांठे खुलती जा रही है।
जीतन राम मांझी के सरकार से अलग होने के फैसले से नीतीश बाबू की छवि को गहरा धक्का लगा है। साथ ही ये संदेश भी पूरे देश में गया है कि नीतीश बाबू को छोटे दलों का अस्तित्व स्वीकार ही नहीं है। ऐसे में कई दूसरे छोटे दल नीतीश बाबू की मुहिम से दूरी बना सकते हैं। वहीं इसके अलावा इस घटना से ये संदेश भी गया है कि नीतीश बाबू दलित और महादलित नेताओं को ही खत्म कर देना चाहते हैं। इससे बिहार का दलित समाज भी नीतीश बाबू से दूरी बना लेगा। कुल मिलाकर कहें तो नीतीश बाबू के विपक्षी एकता के नाव में ही छेद हो गया है। अब विपक्षी एकता के इस नैया को सियासी भंवर पार कराना टेढ़ी खीर जैसा लगता है।