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रुपौली उपचुनाव को लेकर एक बार फिर सामने-सामने होंगे चाचा-भतीजा, दांव पर नीतीश-तेजस्वी की साख

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लोकसभा चुनाव खत्म हो चुका है। केंद्र में एनडीए की सरकार भी बन चुकी है, लेकिन, रुपौली विधानसभा उपचुनाव ने एक बार फिर से बिहार की सियासत गर्मा दी है ।रुपौली विधानसभा चुनाव में जीत- हार का फैसला तो वहां से चुनाव लड़ रहे आरजेडी की उम्मीदवार बीमा भारती और एनडीए खेमे से जेडीयू के उम्मीदवार कलाधर मंडल या अन्य उम्मीदवारों के बीच होना है ,लेकिन इसमें असली परीक्षा तो नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच होगा। रुपौली विधानसभा चुनाव को लेकर एक बार फिर से चाचा और भतीजा आमने-सामने होंगे।

रुपौली विधानसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार आमने सामने हैं।साथ ही एक बार फिर से सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की साख भी दांव पर है। अपनी इस साख को बचाने के लिए चाचा और भतीजा दोनों ही अपने गठबंधन के नेता को जिताने के लिए एड़ी चोटी एक कर दे रहे है।गठबंधन के कई नेता और कार्यकर्ता तो दिन रात चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं ही, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव भी चुनावी सभा कर अपने उम्मीदवार की जीत के लिए हवा बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ आरएसएस हैं। गौरतलब है कि जेडीयू के उम्मीदवार के रूप में यह सीट बीमा भारती के पास थी,लेकिन पूर्णिया से लोक सभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने इस विधान सभा की सदस्यता त्याग दी और आरजेडी की सदस्यता लेकर पूर्णिया से लोक सभा चुनाव लड़ा जहां पप्पू यादव ने जीत हासिल की और बीमा भारती तीसरे स्थान पर रहीं।अब अपने ही इस्तीफे के बाद खाली हुई इस रूपौली विधानसभा सीट पर वे फिर आरजेडी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। यहां 10 जुलाई को उपचुनाव होना है।

रुपौली उपचुनाव के लिए महागठबंधन की ओर से आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती तो एनडीए की ओर जेडीयू उम्मीदवार कलाधर मंडल चुनावी मैदान में हैं। वहीं इस बार चुनावी रण में निर्दलीय शंकर सिंह ने भी दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों की नींद उड़ा रखी है। रुपौली उपचुनाव पर काफी कुछ हालात पूर्णिया लोकसभा जैसे दिख रहे हैं। इस बार भी मुकाबला त्रिकोणीय होता दिखाई दे रहा है।

लोकसभा चुनाव के बाद हो रहे उप चुनाव में अपने उम्मीदवार की जीत के लिए चुनाव प्रचार में दोनों गठबंधन के कई बड़े नेताओं ने तो मोर्चा संभाल ही रखा है, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने खुद यहां की चुनाव प्रचार की कमान संभाल कर अपने विपक्षियों को धूल चटाने के प्रयास में पूरा दम लगा दिया है।

दरअसल इन दोनों बड़े नेताओं को मालूम है कि रूपौली की यह उपचुनाव सिर्फ एक उप चुनाव भर नहीं है, बल्कि यह आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा पैरामीटर भी है जो यह संकेत देगा कि बिहार में एनडीए की स्थिति आज भी मज़बूत रहेगी या महा गठबंधन ने अब अपना पलड़ा भारी कर लिया है।

रूपौली उप चुनाव परिणाम बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके परिणाम से ये तस्वीर साफ होगी कि बिहार में नीतीश-मोदी का जलवा कायम है या फिर तेजस्वी यादव ने जो टक्कर लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को दी थी, उन्होंनेआगामी विधान सभा चुनाव को लेकर अपनी स्थिति एनडीए से अभी ही बेहतर कर ली है। नीतीश कुमार के सामने चुनौती है कि पूर्णिया लोकसभा चुनाव में जो हार मिली है उसकी भरपाई रूपौली उप चुनाव जीत कर कर यह भी मैसेज दें कि अति पिछड़ा वोटर उनके साथ मजबूती से खड़ा है।वहीं तेजस्वी यादव ने भी एमवाई समीकरण से अलग जाकर अति पिछड़ा कार्ड खेला है।अगर उनके उम्मीदवार की जीत होती है, तब इस जीत को पूरे बिहार में अति पिछड़ा वोटर को बड़ा मैसेज देने में सफल होंगे कि आरजेडी ने अब अपनी वोट बेस को काफी बड़ा कर लिया है।

वहीं रूपौली के इस उप चुनाव परिणाम पप्पू यादव की राजनैतिक हैसियत को भी नापेगा क्योंकि पप्पू यादव पूर्णिया से सांसद है ,और उन्होंने जेडीयू और आरजेडी दोनो ही के उम्मीदवार को चुनाव में हरा दिया था।अगर तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी की उम्मीदवार यहां जीत जाती हैं, तब तेजस्वी यादव यह मैसेज देने में सफल हो जाएंगे कि लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव भावनात्मक वजह से जीते थे, लेकिन जनता आज भी आरजेडी के साथ ही है। वहीं नीतीश कुमार के लिए भी उप चुनाव परिणाम इस मायने में महत्वपूर्ण हो सकता है कि अति पिछड़ा वोटर उनके साथ पूरी मजबूती से खड़ा है और लोकसभा चुनाव में उनके उम्मीदवार की हार तात्कालिक परिस्थिति थी ना की उनके खिलाफ कोई माहौल था ।

कुल मिलाकर रुपौली के इस उपचुनाव की जीत 2025 में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की उम्मीद पाले एनडीए की जीत का मार्ग प्रशस्त करेगा या फिर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आगामी विधानसभा का चुनाव जीतने की इच्छा रखने वाले महागठबंधन का भविष्य तय करेगा, क्योंकि इस जीत के आधार पर ये दोनों ही गठबंधन अभी से ही अपने-अपने पक्ष में हवा बनाने का प्रयास कर सकते हैं,जो 2025 की विधानसभा चुनाव आते-आते एक प्रचंड आंधी के रूप में इनकी जीत सुनिश्चित करने वाली होगी।

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