Homeदेशदलित वोट को लेकर यूपी में बन रहे हैं नए समीकरण !

दलित वोट को लेकर यूपी में बन रहे हैं नए समीकरण !

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अखिलेश अखिल
यूपी की राजनीति अब कुलांचे मारने लगी है। सामने निकाय चुनाव है और फिर लोकसभा चुनाव। सबके अपने दावे हैं। बीजेपी जहाँ सभी सीटें जीतने का दावा कर रही है वही सपा का दावा है कि निकाय चुनाव में बीजेपी कही की नहीं रहेगी और लोकसभा चुनाव में बीजेपी का नाम लेवा कोई नहीं बचेगा। दावे हैं। इसमें कोई खलल डाल भी नहीं सकता। बीजेपी ने पलटवार किया और कहा कि लोकसभा की सभी 80 सीटें बीजेपी जीतेगी। बीजेपी इसी गणित पर काम रही है। उधर बसपा भी हुंकार भर रही है। लम्बे समय से मायावती मौन थी। लेकिन निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में बाजी पलटने को तैयार है। उसकी लड़ाई बीजेपी से कितनी है यह तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन सपा के साथ उसकी ठनती दिख रही है। सपा बसपा की यह लड़ाई दलित वोट पर किसका कब्जा होगा इसको लेकर शुरू हुई है।

खेल कुछ ऐसा चल रहा है जिसे पहले कभी देखा नहीं गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव रायबरेली पहुंचे। यह सोनिया गाँधी का इलाका है। अखिलेश यादव ने वहां जाकर कांशी राम की मूर्ति का अनावरण किया। यह खेल देख कर सब चकित हुए। मायावती को धक्का लगा। लेकिन सपा को इससे क्या लेना देना। सापा की नजर दलित वोट पर है इसे सब जानते हैं। बीते कुछ सालों में बसपा का दलित वोट सपा के साथ जुड़ा है। यह कितना जुड़ा है यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन अभी जीतने उपचुनाव हुए हैं उसमे दलित वोट का एक बड़ा वर्ग सपा के साथ खड़ा रहा। सपा को लग रहा है कि मायावती के दलित वोट को अपने खेमे में कर लिया गया तो यूपी की सियासत बदल सकती है। बीजेपी को नापा जा सकता है। अखिलेश की पूरी ताकत अभी इस खेल को आगे बढ़ाने में लगी है।

उधर मायवती चुप कैसे रहती ? उन्होंने सपा पर वार किया। मायावती ने अपने लोगों को 1995 के गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाई। कहा कि अगर गेस्ट हाउस कांड नहीं होता तो सपा -बसपा गठबंधन देश पर राज कर रहा होता। मायावती ने यह भी कहा कि सपा का दलित विरोधी चेहरा और चरित्र किसी से छुपा नहीं है। इन्होने ही संसद में आरक्षण का विधेयक फाड़ दिया था। मायावती यह सब जान बुझ कर कह रही है। वह जानती है कि बसपा का कुछ दलित वोट सपा के साथ जुड़ा है। यही वजह है कि अब वह बार -बार गेस्ट हाउस की याद दिलाकर दलित वोट को साधने की जुगत भिड़ा रही है। दलित मौन है। वह परख रहा है कि किसने उसके साथ क्या किया ?

उधर बीजेपी बहुत कुछ करती दिख रही है। उसकी निगाह निकाय चुनाव पर तो है ही आगामी लोकसभा चुनाव पर भी है। बीजेपी को लग रहा है कि जिस तरह से बीजेपी की घेराबंदी विपक्ष कर रहा है ऐसे में यूपी की सभी 80 सीटें नहीं जीती गई तो बीजेपी को सरकार बनाने में परेशानी होगी। बीजेपी नेता केशव मौर्या ने कहा है कि कांशीराम की मूर्ति का अनावरण करके अखिलेश यादव ढोंग रच रहे हैं। उनका मन सच्चा नहीं है। उनके साथ दलित वोट नहीं जाएगा। पिछड़े और दलित बीजेपी के साथ रहेंगे। मौर्या ने कहा कि 2022 के चुनाव के दौरान अखिलेश यादव परशुराम की मूर्ति का अनावरण कर रहे थे। क्या हल हुआ सब जानते हैं। अब कांशीराम की मूर्ति का अनावरण कर रहे हैं। कुछ मिलने वाला नहीं है। सपा का भविष्य अंधकार में डूबा है।

मौर्या ने साफ़ किया है कि यूपी में कोई नया समीकरण नहीं है। जब श्रद्धा और समर्पण होगा तो समीकरण बनेगा। समीकरण के लिए त्याग की जरूरत है। प्रदेश की जनता जानती है बीजेपी उनके लिए क्या क्र रही है। सब मिलकर भी लड़ेंगे तो भी बीजेपी के साथ जानत खड़ी है। यह जनता और बाकी दलों की लड़ाई है। सपा और बसपा कही नहीं हैं। आगामी सभी चुनाव में बीजेपी की जीत होगी और बीजेपी इसी पर काम कर रही है।

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