न्यूज़ डेस्क
इजरायल और फिलिस्तीन के आतंकी हमास के बीच जारी संघर्ष लगातार विकराल रूप लेता। इस्थिति ऐसी बनती जा रही है मानो विश्व युद्ध की तैयारी चल रही हो। हमास के मुस्लिम देश खड़ा होता दिख रहा है वही इजरायल के समर्थन में दुनिया के कई शक्तिशाली देश आ खड़े हुए हैं। अभी भारत भी इजरायल के साथ ही खड़ा है। उधर अमेरिका ने बड़ा एक्शन लेते हुए भूमध्य सागर में इजरायल के पास ही अपना शक्तिशाली युद्धक पॉट लेकर खड़ा कर। इस पॉट के जरिये वह इजरायल को तो सुरक्षा देगा ही ,अमेरिका इस पॉट के जरिये ही तमाम पश्चिमी और मध्य देशों को भी निशाना .ऐसे में मध्य ईस्ट के देश अब रूस की शरण में जाते दिख रहे हैं। उधर चीन भी सब कुछ देखकर अभी मौन है। अगर रूस और चीन भी इस युद्ध में खड़ा हो गया तो हमास और बीच का सा रूप लेगा कहना मुश्किल है।
लेकिन इधर भारत की चिंता भी बढ़ती जा रही है। जानकारी के मुताबिक अकेले कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के लगभग 5,000 लोग युद्ध प्रभावित इजरायल में फंसे हुए हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उन सभी को सुरक्षित भारत वापस लाने की कोशिश की जा रही है।
इस बीच हालात को देखते हुए कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार ने इजरायल में सहायता की आवश्यकता वाले राज्य के फंसे लोगों के लिए हेल्पलाइन की घोषणा की है। सरकार ने कर्नाटक राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र भी स्थापित किया है। जो लगातार इजरायल में फंसे लोगों की जानकारी ले रही है और यहां उनके परिजनों को भी सूचना दे रही है।
इजरायल में दक्षिण कन्नड़ जिले के लगभग 5,000 लोगों के फंसे होने की जानकारी देते हुए कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष और सांसद नलिन कुमार कतील ने बताया कि मुझे दक्षिण कन्नड़ जिले के लगभग 5,000 लोगों के इजराइल में होने की जानकारी है। मैंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखा है। उन सभी को सुरक्षित भारत वापस लाया जाएगा।
नलिन कुमार कतील ने कहा कि विदेश मंत्री ने कहा है कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी को नुकसान न हो और केंद्र सरकार उन्हें भारत वापस लाएगी। मैंने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री वी. मुरलीधरन से भी बात की है। मैंने दक्षिण कन्नड़ के प्रभारी उपायुक्त को फंसे हुए लोगों का पूरा विवरण प्राप्त करने का भी निर्देश दिया है।
कतील ने कहा कि इजराइल में फंसे लोगों के परिजन चिंतित हैं। इजरायल में सुरक्षित होने के बावजूद भी डर का माहौल है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान भी ऐसी ही स्थिति थी। हम यहां उन छात्रों के आवासों पर गए थे जो यूक्रेन में फंस गए थे। तब मोदी सरकार ने भारतीयों को बचाया था। उन्होंने कहा कि मैं इसको लेकर दूतावास के संपर्क में हूं।