अखिलेश अखिल
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी तमाम विपक्षी पार्टियों की कमर को तोड़ने का प्लान बना रही है। अगर यह प्लान सफल हो गया तो कोई भी विपक्षी पार्टी इस स्थिति में नहीं बचेगी जो बीजेपी का मुकाबला कर सके। बीजेपी बड़े स्तर पर सभी पार्टियों के विभिन्न नेताओं पर दर्ज मामले पर अब एक्शन लेने को तैयार है। यह ऐसा खेल है जिसमे विपक्षी पार्टियां आर्थिक रूप से तो कमजोर होगी ही उसे बदनामी का भी सामना करना पड़ेगा ।
बीजेपी अब इस प्लान पर काम कर रही है जिसमे तमाम जांच एजेंसियों के भीतर नेताओं पर कई तरह के मामले दर्ज है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के 359 नेताओं पर इनकम टैक्स विभाग के मामले दर्ज किए गए है। इसी राज्य के 62 विपक्षी नेताओं के नाम सीबीआई के मामले में दर्ज है। उधर महाराष्ट्र के 15 विपक्षी नेता आईटी के रडार पर है तो 98 नेता सीबीआई के रडार पर। तमिलनाडु में भी कई नेता सीबीआई,आईटी और ईडी के रडार पर हैं। बंगाल के तो बहुत सारे नेता जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। टीएमसी के 27 नेता जहां ईडी कर रडार पर है वही 715 नेता आईटी के घेरे में हैं। सीबीआई के घेरे में भी 15 नेता हैं।
बिहार में आरजेडी के पांच नेता जहां ईडी के घेरे में है वही 290 नेता आईटी के घेरे में। 27 नेता सीबीआई के रडार पर हैं। उत्तर प्रदेश के बसपा और सपा के 17 नेता ईडी के चंगुल में फंसे है जबकि 490 नेता आईटी के रडार पर है ।37 के खिलाफ सीबीआई के मुकदमे चल रहे हैं। जिन नेताओं पर मुकदमे है उनमें सभी विपक्ष के नेता शामिल हैं।
उधर दक्षिण भारत के तेलाग्ना में 19 विपक्षी नेता ईडी के रडार पर है जबकि 940 के खिलाफ आईटी में मुकदमा दर्ज है और 37 के खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है।राजस्थान में 19 नेता जहां ईडी के लपेटे में है तो 1112 नेताओं के खिलाफ इनकम टैक्स का मुकदमा चल रहा है। जबकि 86 के खिलाफ सीबीआई का मामला दर्ज है। पंजाब में विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी के 21 मामले दर्ज है जबकि 908 नेता आईटी के निशाने पर हैं। 51 नेताओं पर सीबीआई का मामला चल रहा है।
जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक इन विपक्षी नेताओं पर एजेंसियों का कहर बढ़ सकता है। खेल ये है कि ये जांच एजेंसियां तेजी से अपने काम को आगे बढ़ाएगी ताकि विपक्ष की राजनीति को तो खत्म किया ही जाए इसके साथ ही इनके आर्थिक श्रोत को भी बंद किया जाए ।कहा जा रहा है कि इन सभी नेताओं पर बड़ा एक्शन हो सकता है और इनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। इसके पीछे का मकसद यही है है कि इनकी समाज में बदनामी भी हो और इनका आर्थिक श्रोत बंद हो जाए।
जानकारी के मुताबिक अगले अप्रैल महीने से ये जांच एजेंसियां तेजी से काम करना शुरू कर सकती है।हालांकि अभी हाल में ही रायपुर के की कांग्रेसी नेताओं के यहां जो छापेमारी की है उसके पीछे भी यही सोच मानी जा रही है ।
उधर महाराष्ट्र में को भी शिवसेना को लेकर विवाद चल रहे है उसके पीछे भी यही सोच है। खेल यही है कि विपक्ष को लोकसभा चुनाव से पहले इतना कमजोर कर दिया जाए कि वह ज्यादा विरोध ही नही कर पाए। जो विरोध नहीं करेगा एक या तो बीजेपी के साथ सहयोग करेगा या फिर जेल जायेगा। बीजेपी का यह नया हथियार कई राज्यों में प्रभावशाली भी रहा है।