आज के दौर में जिंदगी की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है कि इंसान खुद के लिए भी वक्त नहीं निकाल पाता है। हर किसी के सिर पर काम का बोझ, रिश्तों का दबाव और भविष्य की चिंता इस कदर हावी हो चुकी है कि लोग धीरे-धीरे तनाव से घिरते जा रहे हैं।इस तनाव से सेहत पर बुरा असर पड़ता है, जिससे नींद न आना, भूख कम लगना और बेचैनी जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। आइए जानते हैं कि इसकी वजह से शरीर में क्या-क्या दिक्कतें होने लगती हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब इंसान ज्यादा सोचता है या काफी वक्त तक तनाव में रहता है तो उसके शरीर में कोर्टिसोल नाम का हार्मोन ज्यादा बनने लगता है। यह वही हार्मोन है, जो शरीर को खतरे का सामना करने के लिए तैयार करता है, लेकिन जब इसका लेवल लगातार ज्यादा रहे तो शरीर के अन्य जरूरी हार्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है।एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, टेस्टोस्टेरोन और थायरॉइड जैसे जरूरी हार्मोन प्रभावित होने लगते हैं, जिससे व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ने लगता है।खासकर पेट के आसपास की चर्बी बढ़ती है, जिसे बाद में कम कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
इसके अलावा ज्यादा टेंशन लेने से नींद पूरी नहीं हो पाती है।रात को बार-बार आंख खुलना या देर रात तक जागते रहना कॉमन प्रॉब्लम बन जाती है।आयुर्वेद में भी कहा गया है कि मानसिक दोष यानी मन की अशांति से शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पाचन से लेकर नींद तक पर असर पड़ता है.
एनर्जी भी कम हो जाती है ।
थकान बढ़ने और एनर्जी की कमी जैसे लक्षण भी ज्यादा टेंशन लेने के कारण नजर आते हैं। दरअसल, जब दिमाग लगातार उलझनों में घिरा रहता है तो शरीर भले आराम कर रहा हो, लेकिन मन पूरी तरह थका हुआ महसूस करता है।ऐसे में सुबह उठने का मन नहीं करता और दिनभर सुस्ती छाई रहती है। दिमाग की काम करने की स्पीड भी स्लो हो जाती है। इससे याददाश्त कमजोर होती है और फोकस करना मुश्किल हो जाता है।साथ ही, फैसले लेने में मुश्किल आने लगती हैं।
टेंशन से निपटने के लिए निम्न प्रयास किया जाना चाहिए।
तनाव से उबरने के लिए सबसे पहले जरूरी है खुद को समझना।हमें यह सीखना होगा कि हर बात पर सोचते रहना समाधान नहीं समस्या है।अपनी सोच को नियंत्रित करना और सकारात्मक सोचना बेहद जरूरी है। आयुर्वेद कहता है कि जब मन स्थिर होता है तो शरीर भी हेल्दी रहता है। इसके लिए नियमित रूप से योग और प्राणायाम करना बेहद फायदेमंद होता है. सूर्य नमस्कार, भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम जैसे अभ्यास दिमाग को शांत करने में मदद करते हैं।मेडिकल साइंस में भी कहा गया है कि मेडिटेशन से कोर्टिसोल का लेवल कम होता है और मानसिक शांति मिलती है।