विकास कुमार
23 जून को मोदी सरकार के खिलाफ बिहार में विपक्षी दल अपनी ताकत दिखाएंगे। वहीं बैठक में नहीं बुलाए जाने से बसपा सुप्रीमो मायावती भड़की हुई हैं। मायावती ने विपक्षी दलों की बैठक पर तंज भी कसा है। उन्होंने कहा कि इस कोशिश के पहले जनता में विश्वास जगाने का प्रयास होता तो बेहतर होता। मायावती ने कहा कि विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ‘दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते रहिए’ की कहावत को चरितार्थ करती है। महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, शिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद और हिंसा आदि से देश में बहुजन के हालात त्रस्त हैं।
1.महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से ग्रस्त देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि परमपूज्य बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस, बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नही
— Mayawati (@Mayawati) June 22, 2023
मायावती ने कहा कि बाबा साहब के संविधान को सही से लागू करने की क्षमता कांग्रेस और बीजेपी जैसी पार्टियों के पास नहीं है,उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा कि वैसे अगर लोकसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखक इस प्रकार के प्रयास से पहले यह पार्टियां जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाती तो ठीक होता। अपने गिरेबान में झांक कर अपनी नीयत को साफ करतीं तो सही होता,मुंह में राम बगल में छुरी आखिर कब तक चलेगा।
2. बल्कि अब लोकसभा आम चुनाव के पूर्व विपक्षी पार्टियाँ जिन मुद्दों को मिलकर उठा रही हैं और ऐसे में श्री नीतीश कुमार द्वारा कल 23 जून की विपक्षी नेताओं की पटना बैठक ’दिल मिले न मिले हांथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करता है।
— Mayawati (@Mayawati) June 22, 2023
वहीं मायावती ने ट्वीट किया है कि यूपी में लोकसभा की 80 सीट चुनावी सफलता की कुंजी है। लेकिन विपक्षी पार्टियों के रवैए से ऐसा नहीं लगता। वह यहां अपने उद्देश्य के प्रति गंभीर या सही मायने में चिंतित नहीं हैं। बिना सही प्राथमिकताओं के साथ यह लोकसभा चुनाव की तैयारियां क्या वाकई बदलाव ला पाएगी।
3. वैसे अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी को ध्यान में रखकर इस प्रकार के प्रयास से पहले अगर ये पार्टियाँ, जनता में उनके प्रति आम विश्वास जगाने की गज़ऱ् से, अपने गिरेबान में झाँककर अपनी नीयत को थोड़ा पाक-साफ कर लेतीं तो बेहतर होता। ’मुँह में राम बग़ल में छुरी’ आख़िर कब तक चलेगा?
— Mayawati (@Mayawati) June 22, 2023
मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी गोलबंदी से बसपा सुप्रीमो मायावती को दूर रखना एक बड़ी भूल साबित हो सकती है। क्योंकि यूपी में अगर मायावती अलग चुनाव लड़ेंगी तो 80 लोकसभा सीटों पर बीजेपी के लिए जीत हासिल करना आसान हो जाएगा। लेकिन लगता है अखिलेश यादव की दबाव की वजह से मायावती को गठबंधन से दूर रखा गया है।