अखिलेश अखिल
सामने लोकसभा चुनाव है और सरकारी जांच एजेंसी ईडी की निगाह विपक्ष के कई नेताओं पर है। ईडी के रडार पर केवल केजरीवाल और हेमंत ही नहीं है। रडार पर तो तेजस्वी यादव भी हैं और शिवकुमार भी। वही शिवकुमार जो कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री है। ईडी के रडार पर ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी हैं। लेकिन ये लोग ईडी के लिए साधारण नेता मने जा रहे हैं। ईडी कुछ बड़ी मछलियों को भी अपने रडार पर रखे हुए हैं। इन बड़े लोगों में शामिल हैं सोनिया गाँधी ,राहुल गाँधी ,मल्लिकार्जुन खड़गे , संजय राउत, जंयत पाटिल, राघव चड्ढा, पी चिदंबरम जैसे नेता।
लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ईडी को किसके खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है यह कोई नहीं जानता। जिन लोगों के खिलाफ अभी तक जांच जारी है उसे ईडी कभी भी परेशान कर सकती है। उसे भले ही कोई सजा मिले या न मिले लेकिन उसे बदनाम तो इतना किया जा सकता है कि जनता यह कहने लगे कि आखिर गलती नहीं है तो गिरफ़्तारी क्यों की जा रही है ? जानकार यह भी कह रहे हैं कि ईडी किसी भी समय सोनिया और राहुल को भी घेरे में ले सकती है। प्रियंका को भी लपेट सकती है।
सोनिया और राहुल पर नेशनल हेराल्ड का केस चल रहा है। बता दें कि साल 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और दूसरे कांग्रेसी नेताओं ने मिलकर एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड नाम से एक कंपनी बनाई थी। ये कंपनी नेशनल हेराल्ड नाम से एक अखबार छापती थी, इसलिए इसे सरकार की ओर से बड़े शहरों में सस्ते दाम पर जमीनें मिली थी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेसी नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने ये सरकारी जमीन अपने नाम करने के लिए यंग इंडिया लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई। साल 2011 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया लिमिटेड ने केवल 50 लाख रुपये चुकाकर एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड को टेकओवर कर लिया। इस तरह वह 2 हजार करोड़ रुपये की संपति के मालिक बन गए।
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सबसे पहले धनशोधन का यह मामला उठाया था। साल 2013 में स्वामी ने गांधी परिवार के खिलाफ एक अदालत में धोखाधड़ी और धन के दुरुपयोग की शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद से ईडी मामले की जांच कर रही है। मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी पूछताछ की जा चुकी है। कांग्रेस के करीब 20 नेता जांच एजेंसी के घेरे में हैं।
चुनाव से पहले अगर राहुल गांधी पर ईडी अपना शिकंजा कसती है तो कांग्रेस पार्टी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि राहुल ही पार्टी का मुख्य चेहरा हैं। मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी अध्यक्ष हैं। कांग्रेस अभी तीन राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश पर शासन कर रही है।
2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 206 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी, जबकि 52 सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के किसी भी नेता गिरफ्तारी पर 206 सीटों पर पार्टी को इस बार भी चुनाव में नुकसान झेलना पड़ सकता है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व सीएम राबड़ी देवी पर जमीन के बदले रेलवे में सरकारी नौकरी देने का आरोप है। जांच एजेंसियों का आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान साल 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में लालू यादव के कार्यकाल के दौरान नियम-कानूनों का उल्लंघन करते हुए और बिना किसी पब्लिक सूचना के अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को नौकरी की गई।
रेलवे में नौकरी पाने के लिए उम्मीदवारों ने यादव परिवार के कुछ सदस्यों को काफी कम कीमत पर जमीन बेची। इस कथित भूमि घोटाला मामले में नई चार्जशीट दाखिल होने के बाद 4 अक्टूबर 2023 को अदालत ने तेजस्वी यादव, लालू यादव, राबड़ी देवी और अन्य को जमानत दे दी थी। ईडी तीनों नेताओं को कई बार समन भेजकर पूछताछ के लिए बुला चुकी है।
चुनाव से पहले अगर किसी बड़े विपक्षी नेता की गिरफ्तारी हो जाए तो कितनी सीटों पर असर होगा, यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे राजनीतिक स्थिति में बदलाव आ सकता है। जब किसी नेता को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसके खिलाफ चुनावी प्रचार में बदलाव आता है और उसकी पार्टी को इससे नुकसान हो सकता है।
पांच राज्यों के बड़े विपक्षी नेताओं पर ईडी का शिकंजा कसा हुआ है। अगर किसी विपक्षी नेता की गिरफ्तारी होती है तो इसका लोकसभा की 151 सीटों पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है। इनमें दिल्ली की 7, झारखंड की 14, पश्चिम बंगाल की 42, महाराष्ट्र की 48 और बिहार 40 सीटें शामिल हैं। यही नहीं, 206 लोकसभा सीटों पर सीधे बीजेपी-कांग्रेस में टक्कर की संभावना है।