अखिलेश अखिल
मौजूदा वक्त में राजनीति अब दुश्मनी में बदल गई है। पहले मतभेद की बात की जाती थी लेकिन अब मनभेद भी है और दुश्मनी भी। सत्ता पर बैठी पार्टी सत्ता से हटना नहीं नहीं चाहती और वह अपने तमाम सरकारी तंत्र के जरिए विपक्ष को तबाह और कमजोर करने से बाज भी नहीं आती। अभी बीजेपी कुछ इसी तरह की रणनीति पर चल रही है। उसके निशाने पर वह हर पोलिटिकल पार्टी है जो चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने को तैयार है। ऐसे में बीजेपी सरकारी तंत्र के जरिये बहुत से नेताओं की कुंडलियां खोलने को तैयार है। उसके निशाने पर चार दर्जन से भी ज्यादा लोग है। और ये सबु नेता ईडी ,सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग के जाल में फंसे हुए हैं।
अब दूसरी कहानी ये हैं कि बीजेपी पिछले दस सालों में पहली बार विपक्ष के रडार पर आ गई है।पहले तो कांग्रेस वाले राहुल गाँधी ही बीजेपी पर हमलका कर रहे थे और इसकी सजा भी बीजेपी ने उन्हें दी थी लेकिन अब तमाम विपक्षी दल अब एक होकर बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं .बीजेपी की मुश्किलें बढ़ी हुई है। उसके सारे खेल पलटा जा रहे हैं। उसकी हर रणनीति खराब हो रही है और उसके झूठे खेल भी असर नहीं कर रहे हैं। खेल से पहले ही उसे एक्सपोस कर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर अमित शाह की परेशानी भी बढ़ी है और इकबाल भी अब पहले जैसा नहीं रहा। जनता भी अब इन लोगों पर सवाल उठा रही है।
ऐसे वक्त में जब चुनाव होने में अब बहुत ही काम समय बचे हैं कहा जा रहा है कि बीजेपी और मोदी सरकार अपने तंत्र के जरिये कुछ बड़े नेताओं को जेल में बंद कर सकती है। पेंच केवल अहन फंसा है कि जिन नेताओं को जेल में बंद किया जा सकता है उससे बीजेपी को क्या लाभ मिल सकता है ?आंकलन इस बात को लेकर किया जा रहा है कि नेताओं की गिरफ्तारी उल्टा तो नहीं पडेगा ? बीजेपी के भीतर इस पर मंथन जारी है।
कुछ लोग मानते हैं कि इस समय किसी नेता को गिरफ्तार किया गया तो उसके प्रति सहानुभूति होगी, जिसका नुकसान भाजपा को हो सकता है। दूसरा पक्ष यह मानता है कि जी-20 सम्मेलन के बाद कार्रवाई तेजी होगी और कई नेताओं पर गाज गिरेगी। इससे उनकी पार्टियां चुनाव से पहले बिखरेंगी और मजबूती से चुनाव लड़ने लायक नहीं रह जाएंगी। इसका फायदा भाजपा को होगा।लेकिन लाभ कितना होगा इस पर बी मंथन जारी है।
बहरहाल, इन दोनों तरह के अनुमानों के बीच सवाल है कि कौन कौन ऐसे नेता हैं, जिनके ऊपर चुनाव से पहले गाज गिर सकती है? फिलहाल चार नाम मुख्य रूप से लिए जा रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी। इनके अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता के नाम की भी चर्चा थी लेकिन ऐसा लग रहा है कि वहां कांग्रेस को रोकने के लिए भाजपा चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति को अभी निशाना नहीं बना रही है। इसी तरह महाराष्ट्र में अजित पवार निशाने पर थे लेकिन वे पहले ही भाजपा के साथ चले गए।
सबसे पहले अरविंद केजरीवाल की बात करें तो कुछ दिन पहले तक ऐसा लग रहा था कि शराब घोटाले की जांच अब थम गई है या उसमें कोई कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन सीबीआई ने जिस तरह से तेजी दिखाई है और उसकी शिकायत पर ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी के ऊपर कार्रवाई हुई है उससे लगता है कि जल्दी ही इसमें कुछ और हो सकता है। ईडी के एक अधिकारी एक कर्मचारी के अलावा फाइव स्टार होटल क्लैरिजेज के सीईओ और दूसरे कई कारोबारियों के ऊपर छापे पड़े हैं और कार्रवाई तेज हुई है। सो, इस मामले की आंच मुख्यमंत्री केजरीवाल तक पहुंच सकती है।
ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने खुद यह खतरा जाहिर किया है कि उनको गिरफ्तार किया जा सकता है। उनके ऊपर शिक्षक भर्ती घोटाले में शिकंजा कस रहा है। उनकी पत्नी के ऊपर कोयला तस्करी के मामले में आरोप हैं। इसी तरह तेजस्वी यादव भी पहले यह खतरा जाहिर कर चुके हैं कि उनको केंद्रीय एजेंसियां गिरफ्तार कर सकती हैं। जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने के मामले में उनका नाम है। उधर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी बार बार समन जारी कर रही है लेकिन वे जा नहीं हैं। उन्होंने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। लेकिन उनके खिलाफ एक मामला नहीं है। अवैध खनन से लेकर अवैध तरीके से जमीन खरीद और शराब तीनों के मामले हैं, जिनमें उनके अनेक करीबी लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव, पंकज मिश्रा, अमित अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल जैसे लोग गिरफ्तार हुए हैं और बताया जा रहा है कि उनसे पूछताछ में बहुत सी बातों की जानकारी मिली है। हेमंत सरकार में अहम पदों पर रहे दो आईएएस अधिकारी- पूजा सिंघल और छवि रंजन भी जेल में हैं।