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मणिपुर हिंसा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने तीन पूर्व जजों की कमेटी का ऐलान किया। अदालत ने कहा कि यह कमेटी मणिपुर हिंसा की पूरी जांच करेगी। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि सीबीआई की जांच जारी रहेगी लेकिन उस जांच की मॉनिटरिंग एक आईपीएस अधिकारी करेंगे। तीन जजों की जो कमेटी बनाई गई है उनमे जस्टिस गीता मित्तल ,जस्टिस शालिनी जोशी और जस्टिस आशा मेनन शामिल हैं। जस्टिस गीता मेनन कमेटी की अध्यक्षता करेंगी। ये समिति जांच, राहत, मुआवजा, पुनर्वास आदि मुद्दे पर जांच करेगी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे प्रयास होने चाहिए, जिससे लोगों में विश्वास पैदा हो सके।वहीं, शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई जांच की निगरानी एक आईपीएस अधिकारी करेगा। यह आदेश चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिया है।
सुनवाई के दौरान मणिपुर के डीजीपी भी अदालत में पेश हुए। उनसे कई सवाल किये गए। फिर उन्होंने एफआईर से जुड़े दस्ताबेज को सामने रखा और और अपनी सभी बातें अदालत के सामने रखी।
इससे पहले अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि मणिपुर में एक आर्टिफिशियल सिचुएशन बनाई गई है कि सरकार कुछ नहीं कर रही है। यह बहुत उलझाऊ स्थिति है। उन्होंने कहा कि बाहर जांच होना लोगों में अविश्वास पैदा करेगा। सरकार स्थिति को संभालने के लिए परिपक्व तरीके से डील कर रही है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि किसी भी बाहरी जांच की अनुमति दिए बिना जिला स्तर पर एसआईटी का गठन किया जाएगा। हिंसा प्रभावित छह जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल करते हुए एसआईटी का गठन किया गया है। पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी एसआईटी का नेतृत्व करेंगे। डीआईजी और डीजीपी लेवल के अधिकारी एसआईटी के कामकाज की मॉनिटरिंग करेंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि महिलाओं से जुड़े 12 मामलों की जांच सीबीआई करेगी। यदि महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित अन्य मामले सामने आए तो उनकी जांच भी सीबीआई द्वारा की जाएगी। जिनमें सभी महिलाएं होंगी। उन्होंने कहा कि सीबीआई टीम में दो महिला एसपी अधिकारी हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि मणिपुर में संघर्ष जारी है। मेरा केस जांच और आगे के अपराधों की रोकथाम को लेकर है। वहीं, वकील निजाम पाशा ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के 16 एफआईआर हैं, सभी को सीबीआई को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। उन्होंने एसआईटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका चयन राज्य द्वारा किया जाता है। पुलिस पर अपराधों में भागीदारी के आरोप हैं। चयन अदालत द्वारा होना चाहिए। वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति की जांच के लिए एक स्वतंत्र निकाय होना चाहिए। केंद्र ने तर्क दिया कि जांच में पुलिस पर भरोसा नहीं करना उचित नहीं होगा। एसजी मेहता ने कहा कि पुलिस अधिकारियों पर भरोसा न करना उचित नहीं होगा।

