न्यूज डेस्क
इस साल 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान को बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए गंगा स्नान को महा स्नान कहा जाता है। इस त्योहार के साथ कई धार्मिक मान्यताएं व सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं। इस पर्व को देश के हर हिस्से में अलग-अलग तरीके से मनाने की परंपरा है। यूपी-बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। इस दिन दही-चूड़ा, खिचड़ी, तिल के लड्डू और तिल की गजक खाने का विशेष महत्व है। खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में दही-चूड़ा बड़े ही चाव से खाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा और खिचड़ी क्यों खाते हैं? चलिए जानते हैं इस दिन दही-चूड़ा के अलावा खिचड़ी खाने की परंपरा और महत्व।
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का महत्व | Makar Sankranti Khichadi Significance
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मकर संक्रांति पर जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से रहता है। जैसे खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से होता है। खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनिदेव, हल्दी का संबंध गुरु देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुध देव से माना गया है। इसके अलावा खिचड़ी में घी का संबंध सूर्य देव से होता है। इसलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने के साथ साथ किसी ब्राह्मण को दान भी जरूर करें। उन्हें घर बुलाकर खिचड़ी का सेवन करें इसके बाद कच्चे दाल, चावल, हल्दी, नमक, हरी सब्जियों का दान भी जरुर करें। मान्यता है कि खिचड़ी खाने से आरोग्य में वृद्धि होती है।
मकर संक्रांति पर गुड़-तिल का महत्व | Makar Sankranti Gud Til Significance
मकर संक्रांति पर विशेषकर काली तिल और गुड़ या उससे बनी चीजों का दान शनि देव और सूर्य देव का आर्शीवाद दिलाता है। काली तिल का संबंध शनि से है और गुड़ सूर्य का प्रतीक है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस दिन गुड़ का सेवन और दान करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है, सूर्य की कृपा से करियर में लाभ मिलता है।