अखिलेश अखिल
बिहार का क्या होगा यह तो कोई नहीं जनता लेकिन बिहार के बड़े नेताओं के बीच फिर से बयानबाजी जारी है। सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के के लिए विशेष दर्जे वाले राज्य की मांग केंद्र सरकार से की है। इस तरह की मांग वे लम्बे समय से करते भी आ रहे हैं। सबसे पहले 2010 में इस तरह की मांग शुरू की गई थी और तब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी। नीतीश कुमार की इस मांग पर केंद्र सरकार ने एक समिति क भी गठन किया था और बाद में मांग को नहीं मना गया। अब सामने लोकसभा चुनाव है। और नीतीश कुमार एनडीए से निकलकर इंडिया गठबंधन की राजनीति करने को आगे बढ़ रहे हैं। नीतीश कुमार का एक मात्र लक्ष्य है इस मोदी सरकार को पैदल करने का। वे बिहार में एक भी सीट बीजेपी के खाते में जाने देना नहीं चाहते।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव दिल्ली पहुंचे हुए हैं। कल देर शाम को नीतीश कुमार भी अचानक दिल्ली पहुँच गये .हालांकि किस वजह से दोनों नेताओं का दिल्ली आना हुआ है यह किसी को पता नहीं है। लेकिन जानकार कह रहे हैं किआज शाम तक कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के कई नेताओं के साथ नीतीश कुमार और लालू यादव की बैठक हो सकती है। खबर ये भी है कि विशेष राज्य की मांग को लेकर बी ही बात हो सकती है और आगे की रणनीति को लेकर भी चर्चा हो सकती है।
उधर ,बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर भाजपा के नेता सुशील मोदी ने सीएम और महागठबंधन के नेताओं को आड़े हाथों लिया।उन्होंने कहा कि बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगना चुनावी स्टंट के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि बिहार में 75 साल कांग्रेस, राजद, जदयू अलग-अलग और अब एक साथ मिलकर राज कर रहे हैं, इसके बावजूद हर मानक पर बिहार सबसे पिछड़ा है तो इसके लिए यही लोग जिम्मेवार हैं।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने साफ लहजे में कहा कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद केंद्र में ताकतवर मंत्री रहे थे। इन लोगों ने केंद्र में रहते हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिलवाया।
राज्यसभा सांसद मोदी ने कहा कि 1.5 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर, तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह को ज्ञापन, रामलीला मैदान में रैली के समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी। लालू के समर्थन से केंद्र सरकार चल रही थी। उस समय नीतीश कुमार ने आरोप लगाया था कि लालू यादव ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा रुकवा दिया है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें अपने पिता से पूछना चाहिए कि विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं होने दिया? उन्होंने स्पष्ट किया कि 14वें और 15वें वित्त आयोग ने विशेष राज्य के दर्जे की अवधारणा को ही समाप्त कर दिया है। नीतीश कुमार की पहल पर इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप तथा रघुराम राजन समिति का गठन कांग्रेस सरकार द्वारा बिहार की मांग पर विचार करने के लिए किया गया था, दोनों समिति ने विशेष राज्य की दर्जे की मांग को अस्वीकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि 2002 के बाद देश में किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया है। भाजपा विशेष राज्य के खिलाफ नहीं है, लेकिन अब यह अवधारणा ही समाप्त हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि बालू और शराब माफिया को सत्ता का संरक्षण मिलना बंद हो जाए तो बिहार को 20 हजार करोड़ की अतिरिक्त मदद मिल सकती है। चुनाव के मौके पर यह मांग एक चुनावी स्टंट है।

