न्यूज डेस्क
आखिर वही हुआ जिसकी कल्पना की जा रही थी। बीजेपी के बड़े लिंगायत समाज के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए। खडगे, शिवकुमार और सिद्धरमैया की उपस्थिति में जगदीश ने कांग्रेस की सदस्यता ली। जगदीश लिंगायत समाज के बड़े नेता माने जाते हैं और लिंगायत समाज भी जगदीश के साथ किए गए अपमान से काफी आहत हैं। यह बात और है कि जगदीश के कांग्रेस में जाने से बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है लेकिन बड़ा सवाल यह है की क्या लिंगायत समाज कांग्रेस के पक्ष में आएगा। यह भी बता दें कि अभी तक जितने भी नेता बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में गए हैं उनमें अधिकतर लिंगायत समाज से आने वाले नेता ही हैं।
दरअसल कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के मतदाता 18 फीसदी के करीब हैं। पारंपरिक तौर पर इन्हें भाजपा समर्थक माना जाता है लेकिन शेट्टार जैसे बड़े नेता के कांग्रेस में जाने से भाजपा के इस वोटबैंक में सेंध लगने की आशंका पैदा हो गई है।
बता दें कि जगदीश शेट्टार ने रविवार को ही भाजपा से इस्तीफा दिया था। उसके बाद से ही ऐसी चर्चाएं थी कि शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। शेट्टार ने भाजपा से इस्तीफा देते हुए कहा था कि उन्होंने भारी मन से पार्टी से इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा था कि वह जल्द ही अपनी भविष्य की योजनाओं का खुलासा करेंगे, साथ ही कहा था कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद मीडिया से बात करते हुए जगदीश शेट्टार ने कहा कि ‘मैंने कल भाजपा से इस्तीफा दिया था और आज कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गया। कई लोग इस बात से हैरान हैं कि नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहे नेता ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली। भाजपा ने मुझे हर पद दिया और पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते मैंने हमेशा पार्टी के विकास के लिए काम किया।’
शेट्टार ने कहा कि ‘पार्टी का वरिष्ठ नेता होने के नाते मुझे लगा कि मुझे टिकट मिलेगा लेकिन जब मुझे पता चला कि मुझे टिकट नहीं मिल रहा है तो मैं हैरान रह गया। मुझसे इस बारे में किसी ने बात नहीं की और ना ही मुझे समझाने की कोशिश की। यहां तक कि मुझे तसल्ली भी नहीं दी गई कि मुझे क्या पद दिया जाएगा।’
उधर कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि शेट्टार ने कोई शर्त नहीं रखी है और न ही हमने उनसे कोई वादा किया है। उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए पार्टी के सिद्धांतों को मानना पड़ेगा और पार्टी नेतृत्व को भी मानना पड़ेगा। हम चाहते हैं कि यह देश एकजुट रहे और सिर्फ कांग्रेस ही ऐसा कर सकती है।’ बता दें कि भाजपा ने शेट्टार को टिकट नहीं दिया था, जिससे शेट्टार नाराज चल रहे थे। पार्टी द्वारा शेट्टार को समझाने की कोशिश की गई लेकिन शेट्टार नहीं माने और आखिरकार उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
जानकार मान रहे हैं कि पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस ने भी लिंगायत समाज में अपनी पहुंच को मजबूत किया है। जो लिंगायत अभी तक बीजेपी के साथ जुड़ा था अब ऐसा नहीं रह गया है। लिंगायत समाज के कई मठ कांग्रेस के साथ खड़ा है। उम्मीद की जा सकती है कि लिंगायत का समाज का लाभ कांग्रेस को इस बार पहले से ज्यादा मिल सकता है। और ऐसा हुआ तो कर्नाटक की चुनावी राजनीति बदल सकती है।