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क्या है Karnatak का जातीय समीकरण, BJP ने मुस्लिमों का आरक्षण खत्म कर मचाया बवाल

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न्यूज डेस्क
कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है। कर्नाटक में 10 मई को वोटिंग होगी और 13 मई को नतीजे घोषित किए जाएंगे। कर्नाटक में असली लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। लेकिन जेडीएस भी चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में पूरे दमखम के साथ मैदान में है। कर्नाटक के चुनावी नतीजों को तय करने में जातीय समीकरण की अहम भूमिका रहती है। आइए कर्नाटक के जातीय समीकरण पर डालते हैं एक नजर।

  • कर्नाटक का सबसे बड़ा समुदाय है लिंगायत
  • कर्नाटक में लिंगायतों की आबादी है 17 फीसदी
  • लिंगायतों के बाद है वोक्कालिगा की आबादी
  • कर्नाटक में वोक्कालिगा की आबादी है 12 फीसदी
  • कर्नाटक में एससी की आबादी है 17 फीसदी
  • कर्नाटक में एसटी की आबादी है 7 फीसदी
  • कर्नाटक में कुरुबा जाति की आबादी है 8 फीसदी
  • कर्नाटक में ओबीसी की आबादी है 20 फीसदी

2023 में कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में बीजेपी,कांग्रेस और जेडीएस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला चल रहा है। इस बार आम आदमी पार्टी और ओवैसी की एआईएमआईएम भी चुनावी रण में अपनी किस्मत आजमा रही है। मुस्लिमों का वोट आम तौर पर कांग्रेस और जेडीएस के बीच बंट जाता है। ओवैसी कर्नाटक के 78 लाख मुस्लिम आबादी के एक हिस्से में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। मुस्लिमों के 12 दशमलव 91 फीसदी वोट बैंक पर सबसे ज्यादा भरोसा कांग्रेस को है। चूंकि बीजेपी का मुख्य मुकाबला कांग्रेस से ही है। इसलिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं को ये उम्मीद है कि मुस्लिम वोट बैंक पूरी तरह उनके साथ जा सकता है। लिंगायत समुदाय कई चुनावों से बीजेपी को वोट देता रहा है। वहीं वोक्कालिगा वोट शेयर आमतौर पर कांग्रेस और जेडीएस को मिलता है। बीजेपी इस वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरजोर कोशिश कर रही है। अभी तक बीजेपी को इस में कामयाबी हाथ नहीं लगी है। लेकिन इस बार वोक्कालिगा और दलितों को साधने के लिए पार्टी ने इनके आरक्षण की सीमा बढ़ाई है। बीजेपी ने मुस्लिमों को मिलने वाला 4 फीसदी आरक्षण खत्म कर दिया है। इस 4 फीसदी आरक्षण को वीरशैव लिंगायत और वोक्कालिगा में बांट दिया गया है। इस फैसले के बाद वोक्कालिगा को 6 फीसदी और वीर शैव लिंगायतों को 7 फीसदी आरक्षण मिलेगा। मुसीबत ये है कि सरकार के इस फैसले का बंजारा समुदाय खुला विरोध कर रहा है।

वहीं कांग्रेस ने भी इस बार नई सोशल इंजीनियरिंग तैयार की है। कांग्रेस की कोशिश दलित-ओबीसी-और मुस्लिम मतदाताओं को साधने की है। डीके शिवकुमार के चेहरे के जरिए कांग्रेस वोक्कालिगा समुदाय में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा कांग्रेस बेरोजगारी,बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार को भी मुद्दा बना रही है।

जातीय समीकरण को साधने की कोशिश तो हर पार्टी कर रही है। लेकिन जो पार्टी अपनी रणनीति में कामयाब रहेगा जीत उसी के चरण चूमेगी।

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