अखिलेश अखिल
एक अनार और सौ बीमार वाली कहावत इन दिनों बीजेपी से जुड़े लोगों के बीच चरितार्थ होती दिख रही है। राज्य सभा में दो मनोनीत सीट खाली हैं और इसके लिए आधा दर्जन पत्रकार ,कई नौकरशाह और दर्जन भर बीजेपी के नेता मारामारी कर रहे हैं। बीजेपी आलाकमान से लेकर संघ के बीच चिरौरी करते देखे जा रहे हैं। इन लोगों की अभी पोलपट्टी नहीं खोली जा जा सकती।
जो लोग पत्रकारिता से जुड़े हैं उनके क्या कहने ! ये पत्रकार है भी या नहीं ,कहना मुश्किल है। आये दिन बहुत कुछ लिखते हैं लेकिन किसके लिए लिखते हैं और उस खबर को कौन पढता है ,कहना मुश्किल है। मोदी भक्ति में लीन इनकी पत्रकारिता कभी शर्माती है तो कभी लुभाती भी है। इनका दौर संघ तक भी जारी है लेकिन किसी को अभी कोई आश्वासन नहीं मिल सका है। मोदी के राज में भला अंतिम निर्णय कौन दे पायेगा ?
यही हाल कई नौकरशाहों की भी है। आधा दर्जन से ज्यादा नौकरशाह इसी उम्मीद में बैठे हैं कि राज्य में वे पहुँच जाए। बीजेपी नेताओं की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। कई बीजेपी नेता आस लगाए बैठे हैं कि शायद उन्हें यह सीट मिल जाए। लेकिन इन दोनों मनोनीत सीटों के लिए अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है। लगता भी नहीं कि अभी मई से पहले इस पर कोई फैसला सरकार कर सकेगी। एक उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान ही मनोनीत सीटों का फैसला हो जाएगा लेकिन सूत्रों के मुताबिक अभी उस पर कोई बात नहीं हुई है। मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी तो चल रही है। राजस्थान से कई नेता मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। मध्यप्रदेश और दक्षिण के राज्यों के नेताओं को भी शामिल करने की बात हो रही है लेकिन मनोनीत सीटों पर अभी चुप बनी हुई है।
बता दें कि मनोनीत 12 सीटों में से 10 पर नियुक्तियां हो चुकी है। दो सीट खाली है। सुब्रमण्यम स्वामी और पत्रकार स्वपन दास गुप्ता वाली सीट अभी तक खाली है। पिछले साल दक्षिण भारत से चार राज्यों से एक साथ चार लोग मनोनीत हुए थे। केरल से पीटी उषा, कर्नाटक से धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े, तमिलनाडु से इलैयाराजा और आंध्र प्रदेश से वी विजयेंद्र को मनोनीत किया गया। इनके अलावा पहली बार जम्मू कश्मीर की आरक्षित जनजाति समुदाय से एक व्यक्ति गुलाम अली को राज्यसभा में मनोनीत किया गया। ये पांचों नियुक्तियां सामाजिक व क्षेत्रीय समीकरण को ध्यान में रख कर की गईं। लेकिन सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नेता और स्वपन दासगुप्ता जैसे पत्रकार रिटायर हुए लेकिन उनका कोटा किसी नेता या पत्रकार से नहीं भरा गया।
कई लोग मान रहे हैं कि जिन दस राज्यों में चुनाव होने हैं शायद वहाँ के लोगों से ये सीट भरी जायेगी, लेकिन बीजेपी के अनादर कोई कुछ बोल नहीं रहा। अब देखना है कि इन दो सीटों की क्या कहानी बनती है लेकिन पत्रकार, नेता और नौकरशाह आस लगाए बैठे हैं।