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जयललिता मौत मामला: करीबी दोस्त शशिकला दोषी,जांच समिति ने किए चौंकाने वाले खुलासे

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नई दिल्ली: तमिलनाडु सरकार ने विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच की रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। हाईकोर्ट के एक पूर्व जज ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री की 2016 में चेन्नई के एक हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद उनकी मौत की जांच होनी चाहिए। इस मामले में जयललिता की बेहद करीबी रहीं शशिकला की भूमिका की गहन जांच जरूरी है, यही नहीं डॉक्टरों की भूमिका भी संदिग्ध है।

जयललिता की पूर्व सहयोगी शशिकला की भूमिका संदिग्ध

पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की जांच करने वाले न्यायमूर्ति अरुमुगासामी आयोग ने जयललिता की पूर्व सहयोगी वी.के. शशिकला, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर और पूर्व स्वास्थ्य सचिव डॉ जे. राधाकृष्णन और डॉ सी. शिवकुमार के खिलाफ जांच की सिफारिश की है।

रिपोर्ट में खुलासा:5 नहीं 4 दिसंबर को हुई जयललिता की मौत

राज्य सरकार ने 22 सितंबर, 2016 को अस्पताल में भर्ती होने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री की मृत्यु की परिस्थितियों की जांच के लिए आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में चश्मदीदों का हवाला देते हुए दावा किया कि जयललिता की मौत 5 दिसंबर के बजाय 4 दिसंबर को हुई थी। अरुमुगसामी आयोग ने पहले मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को रिपोर्ट पेश की थी।

पूर्व मुख्यमंत्री को इलाज के लिए विदेश क्यों नहीं ले जाया गया?

रिपोर्ट में सवाल किया गया है कि डॉ. रिचर्ड बीले के जयललिता को विदेश ले जाने के लिए तैयार होने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री को इलाज के लिए विदेश क्यों नहीं ले जाया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ब्रिटेन और अमेरिका के जाने-माने डॉक्टरों, जो राज्य सरकार के निमंत्रण पर अपोलो अस्पताल पहुंचे थे, ने एंजियोप्लास्टी का सुझाव दिया था, उसके बाद भी यह नहीं किया गया।

आयोग ने पांच साल में 158 लोगों से की पूछताछ

अरुमुघस्वामी आयोग पिछले 5 सालों से जयललिता की मौत के अलग-अलग एंगल से जांच कर रहा थ। जांच के दौरान जयललिता के कई सहयोगियों, रिश्तेदारों, अधिकारियों और पूर्व मंत्रियों से पूछताछ की गई। अस्पताल से भी कई जानकारियां ली गईं। जांच समिति ने जिन 75 गवाहों से पूछताछ की, उनमें सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के अलावा, चेन्नई अपोलो अस्पताल के डॉक्टर और चेन्नई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, जो उस समय ड्यूटी पर तैनात थे। आयोग ने जांच के दौरान 158 लोगों से पूछताछ की।

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