भारत का हाल भी बांग्लादेश जैसा होगा कहने वालों पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का गुस्सा भड़क गया।उन्होंने बिना किसी का नाम लिए इस पर जमकर सुनते हुए चिंता जताई कि कैसे कोई भारत की तुलना बांग्लादेश से कर सकता है? धनखड़ ने यह बात जोधपुर में राजस्थान हाई कोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह में शिरकत करते हुए कहा।उन्होंने कहा कि कैसे इस देश का नागरिक जो संसद सदस्य रह चुका है और एक अन्य जिसने कई विदेशी सेवाएं की हैं,ऐसी बातें कह सकता है।माना जा रहा है कि जगदीप धनखड़ ने वरिष्ठ í नेताओं सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्यर को लेकर कहीं है । इन दोनों ने भारत में भी बांग्लादेश जैसी नौबत आने की बात कही थी।
जगदीप धनखड़ ने यह भी कहा कि राष्ट्र विरोधी ताकतें अपनी हरकतों को छुपाने या वैध बनाने के लिए हमारी संवैधानिक संस्थाओं के मंचों का इस्तेमाल कर रही हैं।उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय हित सर्वोच्च है।धनखड़ ने कहा कि यह सर्वोच्च प्राथमिकता है,एकमात्र प्राथमिकता है और हम किसी भी चीज से पहले राष्ट्र को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विधायिका निर्णय नहीं लिख सकती, इसी तरह न्यायपालिका कानून नहीं बना सकती या ऐसे निर्देश नहीं दे सकती जो कानून से परे हो। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी संस्थाओं की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख है।अगर एक संवैधानिक संस्था के क्षेत्र में दूसरे का ²अतिक्रमण होता है तो यह खतरनाक होगा।
जगदीप धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र के लिए नापाक मंसूबे वालों से ही संस्थाओं को बचाने लिए काम करें, और अगर वह कुछ पैठ बनाने में कामयाब भी हो जाते हैं तो चुप न बैठें।उन्हें बेअसर करने में जुट जाएं। उपराष्ट्रपति ने आगाह करते हुए कहा कि भारत विरोधी ताकतें हमारी प्रगति में बाधा डालने की कोशिश कर रही है और विभिन्न स्तरों पर काम कर रही है।ये ताकतें हमारी संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बना रही है, उन्हें कलंकित और कमजोर कर रही है।उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की न्यायिक प्रणाली और उसकी कार्य क्षमता उसकी लोकतांत्रिक जीवंतता को परिभाषित करती है। किसी भी सरकार के लिए एक स्वतंत्र न्याय प्रणाली आवश्यक है क्योंकि यह जीवन रेखा है।