न्यूज़ डेस्क
राजस्थान चुनाव को लेकर प्रचार जोरों पर है। इस बीच सूबे में बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने एक जनसभा के दौरान ऐसी बात कह दी, जिसके बाद सियासत गर्म हो गई। दरअसल, झालावाड़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए वसुंधरा राजे ने कहा, ‘मुझे लग रहा है कि अब मैं रिटायर हो सकती हूं।’ इसके बाद लोग तालियां बजाने लगे।
झालावाड़ में शुक्रवार को एक सभा को संबोधित करते हुए वसुंधरा राजे ने कहा कि बेटे और सांसद दुष्यंत सिंह का भाषण सुनने के बाद उन्हें लगता है कि वह रिटायर हो सकती हैं। राजे ने कहा कि अब मुझे लग रहा है कि मैं रिटायर हो सकती हूं। लोगों ने बेटे दुष्यंत को सही प्रशिक्षण और स्नेह दिया है और उन्हें सही रास्ते पर रखा है। ऐसे में अब उन्हें बेटे दुष्यंत के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले कई महीने से चुनाव में वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर अटकलों का दौर जारी है। इसी बीच वसुंधरा राजे ने राजनीति छोड़ने का संकेत देकर सभी को अचंभित कर दिया है। उनके इस बयान के सियासी गलियारों में अलग-अलग मायने निकाले जा रहे है। वहीं, अब हर किसी के मन में यही सवाल है कि क्या वसुंधरा राजे राजनीति से संन्यास ले रही है? वसुंधरा राजे आगे क्या करेंगी यह तो कोई नहीं जानता लेकिन बीजेपी भी चाहती है कि वसुंधरा अब मुख्यधारा की राजनीति से अलग हो जाए। सच तो यह है कि पार्टी के कई नेता यह भी मानकर चल रहे थे कि इस बार के चुनाव में वसुंधरा को टिकट भी न दिया जाए। लेकिन बीजेपी को लगा कि अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी टूट भी सकती है और ऐसा हुआ तो पुरे देश में भी हो सकता है।
वैसे भी बीजेपी के भीतर मतान्तर तो काफी है। बहुत से नेता है जो मौजूदा राजनीति को लेकर बहुत कुछ कहना चाहतेव हैं लेकिन कुछ बोल नहीं पाते। भय है क़ि कहीं उनकी राजनीति को ही ख़त्म न कर दिया जाए। और फिर जिनके बाल बच्चे बीजेपी की राजनीति कर रहे हैं वे तो पहले से ही डरे हुए हैं। उन्हें लगता है कि कही उनके चलते उनके बच्चों पर आफत न आ जाए।
वैसे रिटायरमेंट तो सबको लेना है। किसी को आज ऑटो किसी को कल। बीजेपी में अटल आडवाणी से बड़ा नेता कोई न हुआ है और न होगा। आज के दौर के किसी भी नेता को जान नेता नहीं कहा जा सकता। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री की जो छवि है और मौजूदा बीजेपी में जो बड़े नाम हैं ,सब के सब हिन्दू -मुसलमान के नाम पर उभरे हुए हैं। कोई हिंदुत्व की बात करता है तो कोई राममंदिर की याद दिलाता है। लेकिन किसी भी नेता के प्रति जनता के मन में कोई श्रद्धा भाव नहीं है। ऐसे में मामला वसुंधरा का हो यह फिर किसी और भी नेता का ,पार्टी सबको रिटायर ही करती है। लेकिन किसी राजनीति सदा याद की जाती है। वसुंधरा ने राजस्थान को बहुत कुछ दिया है। पार्टी को भी दिया है। इसे इंकार कौन करेगा ?