अखिलेश अखिल
उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन एक -एक सीट पर नजर लगाए हुए हैं। सबसे पहले वहां की तासीर को समझने की कोशिश की जा रही है और फिर जातीय और धार्मिक खेल को समझा जा रहा है। सभी तरह के समीकरण को समझने के बाद उचित उम्मीदवार को परखा जा रहा है और जो चुनाव जीत सकते हैं है उस पर दाव लगाने की तैयारी चल रही है। यह सब कोई मामूली खेल नहीं है। एक सीट को पाने के लिए दर्जनों उम्मीदवार मैदान में डटे हुए हैं और सबकी यही हुंकार होती है कि गर उसे टिकट मिल जाए तो जीत पक्की है। लेकिन ऐसा होता कहाँ है ?
अब एक नयी खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को इस बार इंडिया गठबंधन चुनावी मैदान में उतारने को तैयार है। हालांकि अभी तक इस बात की भी कोई घोषणा नहीं की हुई है कि भीम आर्मी भी इंडिया गठबंधन के साथ जा रही है। लेकिन इस बात की सम्भावना ज्यादा बढ़ती जा रही है कि रालोद प्रमुख जयंत चौधरी लगातार चंद्रशेखर आजाद के टाच में हैं और सम्भावना जताई जा रही है कि वे जल्द ही इंडिया गठबंधन के साथ आ सकते है। रालोद को भी इस बात की उम्मीद है कि अगर भीम आर्मी के साथ उसका गठबंधन हो जाता है तो वेस्टर्न यूपी मि उसकी ताकत बढ़ सकती है और बेहतर परिणाम भी आ सकते हैं।
अब यह भी कहा जा रहा है कि आजाद बिजनौर की आरक्षित सीट नगीना से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, जहां अनसूचित जाति और मुसलमानों की संख्या अधिक है। सूत्रों ने बताया कि उनका 9 अक्टूबर को नगीना में एक सार्वजनिक बैठक करने का भी कार्यक्रम है। नगीना का प्रतिनिधित्व वर्तमान में बसपा के गिरीश चंद्र कर रहे हैं, जिन्होंने 2019 में भाजपा के यशवंत सिंह को 1.6 लाख से अधिक वोटों से हराकर सीट जीती थी. तब बसपा को गठबंधन के तहत सपा का समर्थन मिला था।
यूपी की 17 आरक्षित लोकसभा सीटों में से एक नगीना लोकसभा क्षेत्र सबसे अहम माना जाता है। यह प्रदेश की नई लोकसभा सीटों में से एक है। नगीना लोकसभा सीट पहले बिजनौर में आती थी, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव इसे अलग कर दिया गया था। इस सीट पर अब तक तीन बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। यह क्षेत्र किसी भी दल का गढ़ नहीं रहा है। तीनों बार के चुनावों में यहां अलग-अलग पार्टी के प्रत्याशी जीतकर सांसद बने है। यूं कहें कि यहां की जनता हर बार नए उम्मीदवार को मौका दिया है। पहले में सपा, दूसरे में भाजपा और तीसरे चुनाव में बसपा का इस सीट से सांसद बना है। 2024 में एक बार फिर लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं, इसको लेकर सभी की नजरें अभी से टिक गई हैं कि सपा, भाजपा बसपा को मौका देने के बाद यहां की जनता किसे सांसद बनाएगी और किसे घर बिठाएगी? ये तो वक्त ही बताएगा।
नगीना लोकसभा सीट वैसे तो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है। इस सीट पर 21 फीसदी एससी वोटर हैं। नगीना लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की बात करें तो यहां मुस्लिम वोटरों की आबादी करीब 50 फीसदी से भी अधिक है। पिछले चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां करीब 1493411 मतदाता हैं, इनमें 795554 पुरुष और 697857 महिला वोटर हैं। अब माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन यहाँ से आजाद को मैदान में उतारकर इस सीट को अपने पाले में ला सकता है। आगे क्या कुछ होता है इसे तो देखना होगा लेकिन इस बात की सम्भावना ज्यादा बढ़ गई है कि आजाद की इस बार चुनावी राजनीति में इंट्री हो जाएगी।
2009 में नगीना लोकसभा सीट पहली बार अस्तित्व में आई थी। नगीना बिजनौर जिले की एक तहसील है। कभी ये सीट बिजनौर लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश पर इसे बिजनौर से अलग करके अलग लोकसभा क्षेत्र बनाया गया। इसे सैय्यद शासकों ने मुगलों से जागीर के रूप में पाया था। बाद में ये क्षेत्र 1857 के विद्रोह में मशहूर हुआ जब नजीबाबाद के नवाब और ब्रिटिश सेना के बीच बिजनौर में युद्ध हुआ था। इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो यहां 1919 के जलियांवाला बाग की तरह एक घटना हुई थी। यहां स्थित पाईबाग में ब्रिटिश सेना ने निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाकर उनकी हत्या कर दी थी। इस दौरान करीब 150 लोगों की मौत हुई थी तभी इसे नगीना का जलियांवाला बाग कहा जाता था।
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