न्यूज डेस्क
इंटरपोल ने भारत के भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी का नाम रेड नोटिस की सूची से हटा दिया है। भारत सरकार ने इंटरपोल की वांटेड लिस्ट में से चौकसी का नाम हटाने का जोरदार विरोध किया है। पंजाब नेशनल बैंक में हुए 14 हजार करोड़ के घोटाले के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (सीबीआई) और इनफोर्स्मेंट डायरेक्टोरेट (ED) को इंटरपोल से यह बड़ा झटका है। मेहुल ने रेड नोटिस के खिलाफ इंटरपोल के लियोन हेडक्वॉर्टर में अपील की थी। इस मामले पर अब तक सीबीआई की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है। चोकसी पंजाब नेशनल बैंक में 14 हजार करोड़ रुपए के घोटाले में आरोपी है और फिलहाल फरार है।
जानकारी के मुताबिक रेड नोटिस हटने के बाद मेहुल चौकसी एंटीगुआ और बारबुडा देश से बाहर भी यात्रा कर सकता है। बता दें कि मेहुल चौकसी को एंटीगुआ और बारबुडा देश से नागरिकता प्राप्त है। इंटरपोल ने अपना ऑर्डर जारी करते हुए लिखा है कि इस बात की पूरी संभावना है कि भारत की ओर से मेहुल चौकसी की प्रत्यर्पण की कोशिश उसके अपहरण की योजना है। भारत ने इस दौरान इंटरपोल से कहा है कि अगर मेहुल के ऊपर से रेड नोटिस हटाया जाता है तो वह एंटिगुआ से कहीं भी जा सकता है जबकि उसके प्रत्यर्पण की कार्यवाही बहुत ही नाजुक स्टेज में है। मेहुल चौकसी भारत में कई मामलों में वांटेड है। इंटरपोल ने अपने ऑर्डर में आगे लिखा है कि अगर मेहुल भारत वापस लौटता है तो जरूरी नहीं है कि उसे निष्पक्ष जांच और ट्रायल की सुविधा दी जाएगी।
मेहुल चोकरी 2018 में देश छोड़कर भागा था
मेहुल चोकसी 2018 में देश छोड़कर भाग गया था। 10 महीने बाद उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ। तब तक वह एंटीगुआ और बारबूडा में छिपा हुआ था। बाद में उसे यहां की नागरिकता मिल गई। चौकसी ने सीबीआई की एप्लीकेशन के जवाब में दलील दी थी कि भारत में जेलों के हालात बहुत खराब हैं। वहां उसे जान का खतरा हो सकता है। इसके अलावा उसने सेहत से जुड़ी दलीलें भी दीं थीं। इंटरपोल की पांच मेंबर्स की कमेटी ने इस पर सुनवाई की थी। इसे कमीशन फॉर कंट्रोल फाइल्स कहा जाता है। इस कोर्ट ये लीगल कमेटी को यह अधिकार हासिल है कि वो किसी शख्स या आरोपी के खिलाफ रेड नोटिस को रद्द कर दे।