न्यूज डेस्क
भारत ने छह दशक पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा को बेहद जरूरी बताते हुए पाकिस्तान को तीन मांगों के साथ नोटिस भेजा है। सूत्रों के मुताबिक किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में लंबे समय से चल रहे विवाद के मद्देनजर नोटिस जारी किया गया है। भारत ने सख्त लहजे में तर्क दिया कि परिस्थितियों में मौलिक और अप्रत्याशित परिवर्तनों के कारण समझौते की समीक्षा आवश्यक है।
सूत्रों के मुताबिक सिंधु जल संधि के अनुच्छेद 12 (3) के तहत 30 अगस्त को पाकिस्तान को नोटिस जारी किया गया। भारत ने नोटिस में तीन चिंताएं प्रमुख तौर पर जाहिर की हैं, जिसमें जनसंख्या में परिवर्तन , पर्यावरणीय मुद्दे व भारत में उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की जरूरत पर जोर दिया है। सीमा पार से लगातार जारी आतंकवाद के प्रभाव की भी समीक्षा का एक कारण बताया जा रहा है। भारत ने पाकिस्तान से संधि की समीक्षा के लिए दोनों देशों के बीच आधिकारिक वार्ता शुरू करने का आह्वाहन किया है।
भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों के विचार विमर्श के बाद 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत सिंधु, झेलम व चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया था जबकि भारत को रावी, सतलुज और व्यास नदियों के जल पर हक मिला था। भारत को नदियों पर जल विद्युत परियोजनाएं लगाने का अधिकार है,पर पाकिस्तान नदियों के बहाव को प्रभावित कर भारतीय परियोजनाओं में अड़गे लगाता रहा है। संधि में विश्व बैंक भी हस्ताक्षरकर्ता था, जो नदियों के जल के उपयोग पर दोनों पक्षों में सहयोग व सूचना के आदान प्रदान का तंत्र स्थापित करता है।