प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज से वार्ता के बाद शनिवार को कहा कि यूक्रेन में घटनाक्रम शुरू होने के समय से ही भारत ने संवाद और कूटनीति के माध्यम से इस विवाद को सुलझाने पर जोर दिया है और वह किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ सार्थक वार्ता की. हमारी बातचीत भारत-जर्मनी सहयोग को मजबूत बनाने और कारोबारी संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने पर केंद्रित रही.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, बायो ईंधन के क्षेत्र में संबंधों को गहरा बनाने पर सहमति व्यक्त की. सुरक्षा सहयोग पर भी चर्चा हुई.”
रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभावों से जुड़े मुद्दों पर हुई चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर स्कोल्ज की वार्ता में रूस-यूक्रेन संघर्ष के एक वर्ष पूरे होने पर इसके कारण खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा जैसे प्रभावों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने स्वच्छ ऊर्जा, कारोबार, निवेश, रक्षा और नई प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन समेत विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने के रास्तों पर चर्चा की.
बैठक के बाद संयुक्त बयान में जर्मनी के चांसलर स्कोल्ज ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का आक्रमण ‘बड़ी आपदा’ है और इसका दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट करना बेहद जरूरी है कि हम संयुक्त राष्ट्र सहित इस विषय पर दृढ़ हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संबंध ही वैश्विक संबंधों को संचालित करते हैं.’’
जर्मनी के चांसलर ने कहा, ‘‘यूक्रेन में युद्ध के कारण भारी नुकसान हुआ, बुनियादी ढांचे और ऊर्जा ग्रिड नष्ट हो गए. यह एक आपदा है. युद्ध मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन करता है जिससे हम सभी सहमत हैं, आप हिंसा के माध्यम से (देशों की) सीमाओं को नहीं बदल सकते.’’
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव पूरे विश्व पर पड़े हैं. विकासशील देशों पर इसका विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव रहा है. हमने इस बारे मे अपनी साझा चिंता व्यक्त की.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात से सहमत हैं कि इन समस्याओं का समाधान संयुक्त प्रयासों से ही संभव है और जी20 की अध्यक्षता करने के दौरान भी भारत इस दिशा में प्रयास कर रहा है.’’
‘भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार’
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन में घटनाक्रम शुरू होने के समय से ही भारत ने संवाद और कूटनीति के माध्यम से इस विवाद को सुलझाने पर जोर दिया है. भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है. ज्ञात हो कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस से यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने और अपनी सेना को वापस बुलाने की मांग करने वाले गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पर गुरुवार (23 फरवरी) को मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था.
पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और जर्मनी के बीच सक्रिय सहयोग है. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं कि सीमापार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने इस बात पर भी सहमति दोहराई कि वैश्विक वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से दर्शाने के लिए बहु पक्षीय संस्थाओं में सुधार आवश्यक है.’’
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के लिए जी-4 के अंतर्गत हमारी सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट है. गौरतलब है कि जी4 समूह का आशय भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील से है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विस्तार की जरूरत पर जोर देते रहे हैं.
पीएम मोदी ने बताया इन मुद्दों पर भी हुई बात
प्रधानमंत्री मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘चांसलर स्कोल्ज और मैंने शीर्ष सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारियों) से मुलाकात की और हमारे देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने के रास्तों पर चर्चा की. बैठक में डिजिटल परिवर्तन, फिनटेक, सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार जैसे विषय उठे.’’
जर्मनी के चांसलर दो दिवसीय यात्रा पर शनिवार को भारत पहुंचे. इस शीर्ष पद पर एंजेला मर्केल के 16 साल के ऐतिहासिक कार्यकाल के बाद दिसंबर, 2021 में जर्मनी का चांसलर बनने के बाद स्कोल्ज की यह पहली भारत यात्रा है. वह ऐसे समय में भारत आए हैं जब एक दिन पहले ही यूक्रेन पर रूस के हमले का एक वर्ष पूरा हुआ हैं. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने मजबूती से यूक्रेन के समर्थन करने का संकल्प व्यक्त किया है और मास्को पर दबाव बढ़ा रहे हैं.
जर्मनी के चांसलर स्कोल्ज ने कहा, ‘‘खाद्य और ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण प्रश्न है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एशिया, अफ्रीका, अमेरिका के देशों पर आक्रामक युद्ध का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़े.’’
साझा लोकतांत्रिक मूल्यों-हितों पर हुई चर्चा
इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी के मजबूत संबंध, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और एक-दूसरे के हितों की गहरी समझ पर आधारित हैं और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान का भी लंबा इतिहास रहा है. उन्होंने कहा कि विश्व की दो बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ता सहयोग, दोनों देशों की जनता के लिए लाभकारी है, साथ ही आज के तनाव-ग्रस्त विश्व में इससे एक सकारात्मक संदेश भी जाता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि चांसलर स्कोल्ज के साथ आए कारोबारी शिष्टमंडल और भारतीय उद्योगपतियों के बीच एक सफल बैठक हुई और कुछ अच्छे समझौते, बड़े महत्वपूर्ण समझौते भी हुए. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की वजह से भारत में सभी क्षेत्रों में नए अवसर खुल रहे हैं और इन अवसरों के प्रति जर्मनी की रुचि से हम उत्साहित हैं. उन्होंने कहा, ‘‘भारत और जर्मनी त्रिकोणीय विकास सहयोग के तहत तीसरे देशों के विकास के लिए आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में हमारे लोगों से लोगों के बीच संबंध भी सुदृढ़ हुए हैं.’’
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले वर्ष उनकी जर्मनी यात्रा के दौरान दोनों देशों ने हरित और टिकाऊ विकास गठजोड़ की घोषणा की थी और इसके माध्यम से जलवायु कार्य और टिकाऊ विकास लक्ष्यों के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है.
भारत से यूरोप क्या चाहता है, शोल्ज ने बताया
शोल्ज ने कहा कि जर्मनी चाहता है कि भारत और यूरोप के बीच कारोबारी संबंध और गहरे हों. उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से कारोबार और निवेश से आगे बढ़ते हुए भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ें. शोल्ज ने सुझाव दिया कि वह भारत और यूरोपीय संघ के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौता और निवेश संरक्षण समझौते को जल्द अंतिम रूप देने में भूमिका निभाएंगे.
इससे पहले, भारत पहुंचने पर जर्मनी के चांसलर स्कोल्ज ने राष्ट्रपति भवन में सलामी गारद का निरीक्षण किया. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया. रविवार (26 फरवरी) सुबह चांसलर शोल्ज बेंगलुरु के लिए रवाना होंगे.
शनिवार को उन्होंने दोपहर में राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने ट्वीट में कहा कि चांसलर स्कोल्ज की यात्रा बहुआयामी भारत-जर्मन सामरिक गठजोड़ को और गहरा बनाने का अवसर प्रदान करेगी.
बागची ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज का हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता के लिए स्वागत किया. इसमें द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने, हरित और टिकाऊ विकास गठजोड़ और आर्थिक गठजोड़ को प्रगाढ़ करने और रक्षा क्षेत्र में करीबी संबंध बनाने पर जोर दिया गया.’’