न्यूज़ डेस्क
उत्तरप्रदेश में सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर की पानी अलग राजनीति है। राजनीतिक हलकों में उनकी पहचान चाहे जिस तरह की हो लेकिन उनकी राजनीति कुछ छुपकर नहीं होती। वे जो भी करते हैं खुले मन से करते हैं और सबके सामने करते रहे हैं। उनकी यही राजनीति ुणो अस्थिर भी करती है और बदनाम भी। लेकिन राजनीति में बदनाम भला कौन नहीं है ? यह बात अलग हो सकती है कि बदनामी के अलग -अलग रंग हो सकते हैं। राजनीति में कोई पाक नहीं होता और राजनीति में कोई ईमानदार भी नहीं। सबके अपने खेल है और सारे खेल स्थाई नहीं होते। राजभर इसको जानते हैं और इसे के अनुरूप राजनीति को हांकते हैं।
बीजेपी के साथ फिर से राजनीति कर रहे राजभर को बड़ी उम्मीद थी कि उन्हें योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया जायेगा लेकिन भी तक ऐसा संभव नहीं हो सका। क्यों संभव नहीं हुआ इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। लेकिन असली बात तो यह है कि इस बार उनके खेल को बीजेपी समझ गई है और उनके बारे में सोंच -समझ कर फिसला लेने को तैयार है। चुकी राजभर की राजनीति पलटीमार वाली है इसलिए बीजेपी भी सत्रक है और योगी भी। कहा तो यह भीजाता है कि योगी उनको पसंद नहीं करते। कभी योगी के खिलफ बहुत कुछ बोलते थे। लेकिन राजभर ही कहते हैं कि योगी से उनकी कोई दुश्मनी नहीं। वे बड़े नेता है।
आज राजभर की मुलाकात दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष नड्डा से हुई। क्या बात हुई है यह तो कोई नहीं जानता लेकिन उन्होंने लोगों को सोशल मीडिया के जरिए जो जानकारी दी है उसी से पता चलता है कि वे बीजेपी को दवाब में लाने की कोशिश कर रहे हैं।योगी सरकार में फिर से मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज राजभर अब 2024 में लोक सभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि ओम प्रकाश राजभर ने जेपी नड्डा के साथ मुलाकात की तस्वीरों को एक्स पर पोस्ट करते हुए स्वयं इस मुलाकात का एजेंडा भी बता दिया।
राजभर ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “आज नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से शिष्टाचार मुलाकात कर उत्तर प्रदेश और बिहार के राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा की। भर/राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने के लिए प्रस्ताव यथाशीघ्र उत्तर प्रदेश सरकार से दिल्ली सरकार को रिपोर्ट मंगाने पर गंभीर चर्चा हुई।”
हालांकि बताया जा रहा है कि नड्डा से मुलाकात के दौरान राजभर ने 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को लेकर भी चर्चा की है। अगर राजभर को योगी सरकार में मंत्री नहीं बनाया जाता है तो वे स्वयं लोक सभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं और इस बार राजभर गठबंधन में भाजपा से अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल की तुलना में ज्यादा सीटें भी मांग रहे हैं।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 2017 के विधान सभा चुनाव के दौरान ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा भाजपा के साथ मिलकर लड़ी थी। एनडीए के सत्ता में आने के बाद राजभर को योगी सरकार में मंत्री के तौर पर भी शामिल किया गया था लेकिन 2019 के लोक सभा चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच खटास पैदा हो गई।इसी वजह से चुनाव खत्म होते ही योगी आदित्यनाथ ने राजभर को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था।
उसके बाद से ही राजभर ने प्रदेश में भाजपा को हराने का अभियान छेड़ दिया था और 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वो अखिलेश यादव के गठबंधन में शामिल हो गए थे लेकिन नतीजा उनके पक्ष में नहीं आया। विधान सभा चुनाव में फिर से भाजपा की जीत के बाद राजभर, अखिलेश यादव का साथ छोड़कर दोबारा से एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए और तबसे ही वह लगातार योगी सरकार में मंत्री बनने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।