अक्सर जब भी गले में खराश, बुखार या मूत्र मार्ग संक्रमण यानी UTI जैसी कोई तकलीफ महसूस होती है तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवा जरूर देते हैं और इससे आराम भी मिल जाता है। अगर यही दवा फ्यूचर में काम न करे तो क्या होगा? अब यह सच्चाई बनती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में हर 6 में से 1 बैक्टीरियल संक्रमण ऐसा हो गया है, जिस पर एंटीबायोटिक दवाएं असर नहीं कर रहीं।इसका मतलब यह है कि इन मरीजों पर दवाएं बेअसर हो रही हैं और इलाज करना मुश्किल होता जा रहा है।यह स्थिति बेहद गंभीर है और इसे एंटीबायोटिक प्रतिरोध यानी Antibiotic Resistance कहा जाता है।चलिए जानते हैं कि अगर एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं करेंगी तो इंसानों पर क्या असर पड़ेगा और कितनी मौतें बढ़ जाएंगी?
लोग अक्सर बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक ले लेते हैं या पूरा कोर्स खत्म नहीं करते हैं, इससे बैक्टीरिया कमजोर नहीं होते बल्कि ताकतवर बन जाते हैं। जब बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ ताकतवर हो जाते हैं, तो उन्हें मारना मुश्किल हो जाता है।इसके कारण बीमारी लंबे समय तक रहती है, मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता है, इलाज महंगा हो जाता है और मौत का खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्तर पर हर साल 12 लाख से ज्यादा लोगों की मौत एंटीबायोटिक प्रतिरोध की वजह से होती है और माना जा रहा है कि 2050 तक यह आंकड़ा हर साल 1 करोड़ मौतों तक पहुंच सकता है।
WHO की रिपोर्ट बताती है कि ये दवाएं खासकर मूत्र मार्ग संक्रमण, ब्लड स्ट्रीम संक्रमण, फेफड़ों का संक्रमण, स्किन के संक्रणम और Drug-Resistant TB संक्रमणों में बेअसर हो रही हैं।दक्षिण एशिया और पूर्वी भूमध्यसागरीय इलाकों में यह समस्या सबसे गंभीर है, जहां हर तीन में से एक संक्रमण अब एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक नहीं होता है।वहीं अगर एंटीबायोटिक बेअसर हो जाए, तो सर्जरी करना खतरनाक होगा, प्रेगनेंसी और प्रसव के दौरान संक्रमण से जान का खतरा बढ़ेगा, कैंसर मरीजों में कीमोथेरेपी के बाद इंफेक्शन से मौत हो सकती है और आम बीमारियां, जैसे टाइफाइड और निमोनिया, भी जानलेवा बन जाएगी। इससे बचाव के लिए हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही एंटीबायोटिक लें। एंटीबायोटिक दवा का पूरा कोर्स पूरा करें, हर संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक न लें और हेल्थकेयर सिस्टम को मजबूत करें।