बिहार आगामी चुनावों की तैयारी में जुटा हुआ है।राजनीतिक दल अपने सबसे प्रभावशाली नेताओं को अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार के लिए तैनात कर रहे हैं।यह प्रमुख हस्तियां जिन्हें स्टार प्रचारक के रूप में जाना जाता है। मतदाताओं को आकर्षित करने और पार्टी की पहुंच को बढ़ाने में यह एक बड़ी भूमिका निभाती हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि एक राजनीतिक दल के पास कितने स्टार प्रचारक होते हैं और क्या उन्हें उनके काम के लिए कोई अलग से वेतन मिलता है? आइए जानते हैं।
भारतीय चुनाव आयोग किसी भी दल के द्वारा नियुक्त किए जाने वाले स्टार प्रचारकों की संख्या को काफी ज्यादा सख्ती से नियंत्रित करता है। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को ज्यादा से ज्यादा 40 स्टार प्रचारक रखने की अनुमति है। इसी के साथ गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा 20 स्टार प्रचारक रख सकते हैं। पार्टी को चुनाव अधिसूचना के 7 दिनों के अंदर इन स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को देनी होती है।
आम धारणा के विपरीत स्टार प्रचारकों को चुनाव संबंधी गतिविधियों के लिए कोई भी वेतन नहीं दिया जाता है।इन प्रचारकों के यात्रा और रसद संबंधी सभी खर्च राजनीतिक दल के खर्च में शामिल होते हैं ना कि किसी व्यक्तिगत उम्मीदवार के खर्च में।
वैसे तो स्टार प्रचारक का खर्च आमतौर पर पार्टी ही संभालती है लेकिन इसमें एक अपवाद भी है।यदि कोई भी प्रचारक किसी खास उम्मीदवार पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है या फिर उसके साथ मंच साझा करता है तो संबंधित खर्च उसी उम्मीदवार के चुनाव खर्च में ही गिने जाते हैं।इसी तरह यदि कोई स्टार प्रचारक अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करने वाला उम्मीदवार भी है तो भी सभी खर्च उसके व्यक्तिगत खाते में जोड़ दिए जाते हैं और उसे स्टार प्रचारक होने का कोई भी वित्तीय लाभ नहीं मिलता है।
स्टार प्रचारक आचार संहिता से बंधे हुए होते हैं।किसी भी तरह का उल्लंघन उनकी स्थिति के रद्द होने का कारण बन सकता है।इसके अलावा चुनाव आयोग स्टार प्रचारक सूची में सिर्फ मृत्यु की स्थिति में या किसी सदस्य के पार्टी छोड़ने पर ही बदलाव की अनुमति देता है।स्टार प्रचारक सिर्फ राजनीतिक हस्तियां ही नहीं होते वह रणनीतिक संपत्ति भी होते हैं।