बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को एक बार फिर निशाना बनाए जाने की खबरें सामने आ रही हैं। इस्लामी कट्टरपंथी समूहों ने मंदिरों और पूजा समितियों को धमकी भरे पत्र भेजे हैं, जिनमें 5 लाख बांग्लादेशी टका की मांग की गई है।धमकी दी गई है कि अगर यह राशि नहीं दी गई, तो उन्हें पूजा करने से रोका जाएगा ।समुदाय के लोगों ने बताया कि दुर्गा जी की प्रतिमा तोड़ने और जबरन वसूली के मामलों में कई धमकियां मिली हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन कट्टरपंथी समूहों ने मंदिरों और समितियों से दुर्गा पूजा आयोजित करने के लिए 5 लाख बांग्लादेशी टका की मांग की है। दुर्गा पूजा 9 से 13 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, जो बांग्लादेशी हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है।ऐसी घटनाएं विशेष रूप से खुलना जिले के डाकोप क्षेत्र में देखने को मिली हैं।बांग्लादेश में कई पूजा समितियों को धमकी भरे अज्ञात पत्र प्राप्त हुए हैं, जिनमें राशि नहीं देने पर गंभीर परिणाम भुगतने और दुर्गा पूजा रोकने की धमकी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, कई जगहों पर दुर्गा मूर्तियों को तोड़ने की घटनाएं भी सामने आई है।22 सितंबर को लक्ष्मीगंज जिले के रायपुर इलाके में मदरसे के कुछ छात्रों ने दुर्गा प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाया था।इसी तरह, बरगुना जिले के एक मंदिर में भी मूर्तियां तोड़ी गई थी।
हिंदू समुदाय के सदस्यों ने हाल ही में चटगांव और खुलना जिलों के अधिकारियों के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता समिति ने मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।समिति ने 6 सदस्यों का एक विशेष दल भी गठित किया है, जो अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और हालात पर नजर रखेगा।मीडिया से बातचीत करते हुए चटगांव जिले के सनातन विद्यार्थी संसद के अध्यक्ष कुशल चक्रवर्ती ने कहा कि हमारे मन में भय है।हम अपनी सुरक्षा के लिए सरकार से लगातार संपर्क कर रहे हैं।फरीदपुर, खुलना और अन्य कई स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाओं को तोड़ा गया है। हम जोर शोर से दुर्गा पूजा की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन मन में डर का माहौल बना हुआ है।
सतखीरा जिला के हिंदू समुदाय के नेता विवेकानंद रे ने कहा कि कुछ कट्टरपंथियों ने दुर्गा जी की प्रतिमाओं और पंडालों में तोड़फोड़ की है।हम पूजा की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन इस साल ऐसा लग रहा है कि हिंदुओं के हमारे सबसे बड़े त्योहार को मनाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम कट्टरपंथियों की धमकी के बावजूद सरकार मूक दर्शक बनी हुई है और पुलिस से कोई सहायता नहीं मिल रही है। गौरतलब है कि 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद, मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने थे।