न्यूज डेस्क: 6 जनवरी से चल रहे अधिवक्ताओं के आंदोलन को झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने अवमानना याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए रजिस्ट्रार को अवमानना का केस रजिस्टर्ड करने का निर्देश दिया तथा मामले को एक्टिंग चीफ जस्टिस अमरेश कुमार सिंह की बेंच में रेफर करने को कहा। अदालत ने झारखंड स्टेट बार कौंसिल द्वारा एडवोकेट एसोसिएशन को लिखे उस पत्र पर भी रोक लगा दी, जिसमें 7 अधिवक्ताओं सहित आंदोलन के दौरान केस में पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं के संबंध में जानकारी मांगी गई है। इस पर पर फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं होगी।
बार काउंसिल झारखंड का पत्र डरावना
अदालत ने प्रार्थियों की दलील सुनने के बाद मौखिक रूप से कहा कि मुवक्किल के लिए पैरवी करना वकील की ड्यूटी है। बार काउंसिल ने जो पत्र लिखा है,वह डराने वाला है। इससे युवा अधिवक्ता आतंकित होंगे और केस की पैरवी करने से डरेंगे। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के भी खिलाफ है। कोई भी बार काउंसिल या बार एसोसिएशन हड़ताल कॉल नहीं कर सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो वह अवमानना के दायरे में आएगा। उसके पदाधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इसलिए काउंसिल के पत्र पर तत्काल रोक लगाई जाती है, ताकि न्यायिक कार्य सुचारु रुप से चल सके।इससे पूर्व प्रार्थी वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा, अधिवक्ता निलेश कुमार, अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद आदि ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने बार काउंसिल के पत्र को अवैध बताते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया तथा काउंसिल के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया।
क्या है मामला?
झारखंड कोर्ट फीस अमेंडमेंट एक्ट (विधेयक 2022) को वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर राज्य भर के अधिवक्ता 6 जनवरी से न्यायिक कार्यों से अलग हैं। झारखंड स्टेट बार काउंसिल के निर्णय के आलोक में यह आंदोलन जारी है। काउंसिल के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार के अधिवक्ताओं के अलावा कई गैर सरकारी अधिवक्ताओं ने झारखंड हाई हाई कोर्ट में अपने अपने केस में पैरवी की। ऐसी सूचना मिलने पर बार कौंसिल की ओर से गुरुवार को एडवोकेट एसोसिएशन झारखंड हाई कोर्ट को पत्र लिखकर पूर्व महाधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा, बार काउंसिल के सदस्य निलेश कुमार, अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ,अधिवक्ता एनके गंजू, जितेंद्र कुमार पांडे, मनोज कुमार मिश्रा, शैलेंद्र कुमार तिवारी सहित अन्य अधिवक्ताओं द्वारा पैरवी करने की जानकारी मांगी गई ,ताकि कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई की जा सके।