अखिलेश अखिल
संसद का चौथा दिन भी बेकार ही चला गया। मणिपुर मुद्दे पर पक्ष में रार जारी है। विपक्ष की मांग यही कि प्रधान मंत्री खुद सदन में आकर मणिपुर पर चर्चा करें लेकिन सत्ता पक्ष ऐसा नहीं चाहता। वह बार -बार कह रहा है कि मणिपुर के साथ ही कई और राज्यों की स्थिति पर गृहमंत्री अमित शाह बोलेंगे। ऐसे में संसद में रार के अलावा कुछ भी नहीं। बड़ा असवाल यही है कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी चर्चा से क्यों भाग रहे हैं ? मणिपूर सीमाई इलाका है और वहां पिछले तीन महीने से हंसा की वह सब घटनाएं घट रही है जिसकी कल्पना नहीं किआ जा सकती। ऐसे में देश भी चाहता है कि प्रधानमंत्री मोदी को इस पर चर्चा करनी चाहिए। यह समझ से परे हैं कि अगर प्रधानमंत्री जब खुद ही मणिपुर मामले पर दुःख प्रकट कर चुके हैं और कह चुके हैं कि इससे देश शर्मसार हुआ है ,तब वे संसद में चर्चा क्यों नहीं करना चाहते ?
मंगलवार को इस मुद्दे पर बहस को लेकर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सदन के नेता पीयूष गोयल के बीच राज्यसभा में तीखी नोकझोंक हो गई।दोपहर में सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर प्रश्नकाल की शुरुआत से ही सदन में हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान कांग्रेस और अन्य समान विचारधारा वाले दलों के सदस्यों ने ‘मणिपुर-मणिपुर’ के नारे लगाए। इस दौरान खड़गे ने कहा कि 50 से अधिक सदस्यों ने नियम 267 के तहत मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है, लेकिन सरकार तैयार नहीं है। वहीं गोयल ने उन पर पलटवार करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में महिलाओं पर अत्याचार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं।
खड़गे ने सदन में मोदी की गैरहाजिरी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, जब इतने सारे लोग इस बारे में बात करना चाहते हैं तो वे बात करने को तैयार क्यों नहीं हैं? मोदी ‘साहब’ यहां आकर स्थिति क्यों नहीं समझते? बाहर, वह ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में बात करते हैं, लेकिन वह सदन में मणिपुर के बारे में बात करने के लिए तैयार नहीं हैं।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने खड़गे की टिप्पणी पर आपत्ति जताई। उन्होंने विपक्ष पर सदन को बाधित करने और ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा नहीं होने देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह निरर्थक है और हम चर्चा के लिए तैयार हैं। हम इस पर स्वस्थ बहस और चर्चा चाहते हैं। गृह मंत्री इसके लिए तैयार हैं। वह ‘दूध का दूध’ और ‘पानी का पानी’ करेंगे। गोयल ने आगे कहा कि हम महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को उजागर करना चाहते हैं। हम मणिपुर, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जो हो रहा है उसे उजागर करना चाहते हैं। देश में जो हो रहा है उसे लेकर हम चिंतित हैं। हम चाहते हैं कि राज्य सरकार जवाबदेह बनें। यह राजनीतिकरण करने का मामला नहीं है बल्कि हमारे दिल से जुड़ा मामला है।
विपक्ष पर तंज कसते हुए गोयल ने यह भी कहा, ‘यदि आप मामले को लेकर संवेदनशील होते तो आप इस मामले पर चर्चा कर रहे होते। आप पिछले चार दिनों से सदन को बाधित कर रहे हैं। आप इस देश के युवाओं का भविष्य खराब कर रहे हैं।’
इसके बाद शाम को गृहमंत्री शाह ने सदन के प्रतिपक्ष के नेताओं के नाम पत्र भी लिखा। पत्र में मणिपुर की घटना पर शाह ने संवेदना प्रकट की है और कुछ तथ्यों का उजागर भी किया है। उन्होंने विपक्षी दलों से आग्रह भी किया है कि मणिपुर समेत कई राज्यों के मुद्दे काफी संवेदनशील हाँ और इस पर हम सब मिलकर चर्चा करें ताकि भविष्य में कोई इस तरह की घटना नहीं हो पाए।

