अखिलेश अखिल
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बड़ा दावा करते कहा है कि मंगलवार को संविधान की जिस कॉपी को लेकर वे नयी संसद भवन में गए उस कॉपी में समाजवाद और सेक्युलर शब्द प्रस्तावना से गायब थे। और अगर ऐसा है तो यह सब सरकार की बड़ी चाल है और गुप्त अजेंडा के तहत किया जा रहा है। हम इस पर संसद में बोलना भी चाहते थे लेकिन हमें बोलने नहीं दिया गया।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई में यह सब किया गया है ? और किया गया है तो इसके पीछे का सच क्या है ? कौन ये सब करवा रहा है ? क्या यह सब हिन्दू राष्ट्र बनाने की तैयारी तो नहीं ? क्योंकि सरकार अगर इस तरह का गुप्त खेल कर रही है तो उसके पीछे कोई गुप्त अजेंडा ही हो सकता है। और सरकार का कोई गुप्त अजेंडा है तो अभी जो कुछ भी होता दिख रहा है वह सच नहीं है। लेकिन इतना सच तो है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सरकार को कोई भी बड़ा खेल करने को तैयार है जो विपक्ष अभी समझ नहीं रहा है। आगे बढे इससे पहले कुछ बातों पवार चर्चा।
संसद के इस सत्र में सरकार क्या कुछ करना चाहती है यह तो ऊपर से सब कुछ दिख रहा है। नए संसद में अब काम होंगे ,पुराने संसद को संविधान भवन के रूप में जाना जाएगा। यह भी पता चला कि इस सत्र के दौरान चार प्रमुख बिल भी पास कराये जायेंगे। ऐसे बिल जो भारत के लिए काफी जरुरी है। ऐसा सरकार ही कह रही है। इसके बाद कई तरह के भाषण होंगे। संसद और लोकतंत्र का यशोगान होगा। लगे हाथ इस सत्र में महिला आरक्षण बिल भी सदन में पेश हो गया। आज उस पर चर्चा भी होगी। लेकिन यह बिल कब से लागू होगा इसका कोई जकरा भी नहीं है। और जो जिक्र है उससे यही लगता है कि इस बार के चुनाव को देखते हुए इसे बीजेपी पास कराना तो चाहती है और इसे लागू 2031 के बाद कराना चाहती है। क्योंकि जैसा की अधीर रंजन चौधरी ने बिल के बारे में कहा है कि इस बिल में यह दर्ज है कि अगली जनगणना के बाद इस पर अमल होगा। दर्ज तो यह भी है कि परिसीमन के बाद यह सब लागू होगा। ऐसी बहुत सी बातें धीरे -धीरे सामने आ रही है।
जाहिर सरकार इस सबसे जरिए चुनावी लाभ लेने को तैयार है। और हो सकता है कि यह लाभ मिले भी। अगले दो महीने बाद अयोध्या मंदिर की धूम मचेगी। इसकी व्यापक तैयारी की जा रही है। घर -घर इसका प्रचार किया जाना है। प्रसाद वितरण होना है और तीर्थ यात्रा की तैयारी भी होनी है। बाहर से खेल है। यह सब चुनावी खेल ही तो है। लेकिन चुकी बीजेपी की अभी सरकार है तो उसे कौन रोक सकता है। इसी बीच बार -बार एक स्लोगन सामने आता है कि भारत का ही भविष्य है। दुनिया का सिरमौर भारत ही बनेगा। विश्व गुरु होगा। मोदी जी का दुनिया में डंका बज रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था होगी। दुनिया के सभी देश भारत के पीछे चलेगा। चीन और पकिस्तान समेत दुनिया के सभी देश भारत से थार थार कांपते हैं। वगैरह -वगैरह —
लेकिन इन तमान बातों के इतर अब एक नै बात सामने आ गई है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने नई संसद में मिली संविधान की कॉपी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस संविधान में सोशलिस्ट, सेक्युलर शब्द नहीं है। खबर के मुताबिक उन्होंने कहा, “संविधान की जो नई प्रतियांआज (19 सितंबर को हमें दी गईं, जिन्हें हम अपने हाथों में पकड़कर नए संसद भवन में प्रवेश कर गए। इसकी प्रस्तावना में ‘सोशलिस्ट सेक्युलर’ शब्द नहीं है। हम जानते हैं कि ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं हैं, तो यह चिंता का विषय है।”
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “उनकी मंशा संदिग्ध है। ये बड़ी चतुराई से किया गया है। ये मेरे लिए चिंता का विषय है। मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की लेकिन मुझे इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं मिला।”
नए संसद भवन में लोकसभा कार्यवाही महिला आरक्षण बिल के साथ शुरू हुई। लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बिल को अब नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से जाना जाएगा। इसके बाद विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी बोलने उठे तो उन्होंने कहा कि इस बिल को कांग्रेस सरकार के दौरान पेश किया गया था और ये लोकसभा में पारित हो चुका है जबकि राज्यसभा में अटक गया था।
इसको लेकर सत्ता पक्ष के सांसदों ने आपत्ति जताई. फिर अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी से कहा कि सदन में किसका क्या विचार है ये उसके व्यवहार से पता चलेगा।