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क्या गहलोत और पायलट में सुलह हो गई ?घोषणा हुई कि सब मिलकर लड़ेंगे राजस्थान चुनाव 

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अखिलेश अखिल 


दिल्ली में करीब चार घंटे तक पार्टी अध्यक्ष खड़गे और राहुल गाँधी के साथ गहलोत और पायलट की मुलाकात हुई। पांचवे नेता थे वेणुगोपाल। खबर के मुताबिक बारी -बारी से राजस्थान के दोनों बड़े नेताओं की बातें सुनी गई। कभी तल्ख़ वातावरण भी बना तो राहुल गाँधी ने सबको हंसाया। गहलोत ने भी अपनी बात रखी और पायलट ने भी अपनी शिकायते दर्ज कराई। खड़गे सब सुनते रहे। वेणुगोपाल बीच बीच में कुछ टोकते रहे और राहुल गाँधी हंसाते रहे। चार घंटे तक मंथन हुआ और अंत में सब हँसते हुए बाहर निकले। माहौल खुशनुमा था।
         अब राजस्थान में कोई गड़बड़ी नहीं है। पार्टी एक जुट है और सचिन के साथ गहलोत की कोई खींचतान नहीं है इसकी घोषणा कर दी गई। हलाकि कहा जा रहा है कि कुछ पेंच अभी भी फंसा हुआ है लेकिन उसे जल्द ही सुलझा लिया जायेगा। जानकारी के मुताबिक दोनों नेताओं ने  अपने राजनीतिक भविष्य का फैसला कांग्रेस के आलाकमान पर छोड़ दिया। कांग्रेस पार्टी के महासचिव के सी वेणूगोपाल ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कहा कि दोनों नेता एकजुट हैं। कोई भी मनमुटाव नहीं अब हम पूरी ताकत के साथ विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे।               
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले पार्टी को एकजुट करने के लिए खरगे का आवास पर करीब शाम 6 बजे बैठक शुरू हुई। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल शामिल हुए। ऐसा बताया जा रहा है की खरगे ने पहले गहलोत से अकेले में बात की जिसमें उन्होंने पायलट के उठाए मुद्दों पर जानकारी ली।
         करीब 15 मिनट बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और 45 मिनट बाद राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी बैठक में पहुंचे। कांग्रेस नेता पायलट को साथ लेकर राजस्थान के चुनाव में जाना चाहती थी। यही वजह है कि उनकी ओर से उठाए गए सभी मुद्दों पर वरिष्ठ नेताओं ने चर्चा की। इसके खरगे ने सचिन पायलट से भी मुलाकात कर उनका पक्ष जाना। इसके बाद सभी कांग्रेसी नेताओं ने मिलकर राजस्थान में चल रही राजनीतिक विरोध का पटाक्षेप करा दिया।
               बैठक से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली पहुंचते ही एयरपोर्ट पर ही अपने तेवर जाहिर कर दिए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान आज भी इतना मजबूत ही है कि कोई नेता यह कहने की हिम्मत नहीं कर सकता कि वह अपनी पसंद का पद लेगा या फिर पार्टी उसे मनाने के लिए पद की पेशकश करे। यह रिवाज मैंने कांग्रेस में नहीं देखा। ऐसा कभी नहीं हुआ और कभी नहीं होगा। कांग्रेस आज भी बेहद मजबूत संगठन है और आलाकमान मजबूत है।

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