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क्या ममता बनर्जी जान गई कि राहुल की राजनीति के सामने कोई विपक्षी राजनीति संभव नहीं ?

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अखिलेश अखिल 
बड़े तीव्र वेग से टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने संयुक्त मोर्चा बनाने की शुरुआत की थी। कोलकत्ता में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात हुई ,ऐलान हुआ कि हम अलग मोर्चा बनाएंगे और यह मोर्चा गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस का होगा। फिर चर्चा हुई कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन  पटनायक से वह मिलेंगी। ऐसा हुआ भी। ममता भुवनेश्वर भी गई और पटनायक से मुलाकात भी की। लेकिन कोई ऐलान नहीं हुआ। फिर यह बात भी सामने आयी कि ममता 29 -30 मार्च को दिल्ली आ रही है। यहां आकर वह केंद्र सरकार के खिलाफ धरना देंगी। विपक्ष की कई पार्टियां उनका इंतजार भी कर रही थी। लेकिन ममता दिल्ली नहीं आयी। अब सवाल उठ रहे हैं कि ममता का दिल्ली आना अचानक क्यों रद्द हो गया ?

ममता ने दिल्ली आने की बजाय कोलकत्ता में ही प्रदर्शन किया। नए तरीके का प्रदर्शन। नाटकीय प्रदर्शन। वे मंच पर एक वाशिंग मशीन लेकर पहुँच गई। जिसमे काला कपडा डाला और सफ़ेद कपडा निकाल कर दिखाया कि इसी तरह से बीजेपी काम करती है। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश कि किस तरह से और पार्टी के दागदार लोग बीजेपी में जाकर सफ़ेद हो जाते हैं। लोगों ने इस ड्रामा का खूब लुफ्त लिया। खूब तालियां भी बजी। लेकिन असली सवाल तो यह है कि ममता आखिर दिल्ली क्यों नहीं आयी ? ममता के लोग खुलकर इस पर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। लेकिन जानकार मान रहे हैं जबसे राहुल गांधी को सूरत की अदालत से दो साल की सजा हुई और फिर सांसदी रद्द हुई उसके बाद राजनीतिक खेल ही बदल गया। ममता और ममता के लोग जो कल तक कांग्रेस के खिलाफ बोल रहे थे और अलग की बात कर रहे थे उनकी बोलती  बंद हो गई। इस समय देश का पूरा फोकस राहुल के मसले पर जा चुका है। यही वजह है कि आगामी राजनीति को ताड़कर टीएमसी के लोग अब विपक्षी बैठक में भाग लेने लगे हैं। फिर ऐसी हालत में ममता के दिल्ली आने से क्या लाभ होता ? कौन उनकी बात को सुनता ?

बता दें कि राहुल की सजा से पहले ममता बनर्जी तेजी से विपक्षी  एकता की बात कर रही थी। उन्होंने तीसरा मोर्चा की घोषणा भी कर दिया था। कई नेताओं से उनकी मुलाकात और बात भी हुई थी। वे जेडीएस नेता कुमारस्वामी से भी मिल चुकी थी। दिल्ली आकर वे केजरीवाल और केसीआर से मिलने वाली थी।  लेकिन अचानक सब ठंढा पड़ गया।

लेकिन अब ममता की रणनीति भी बदल गई है। उन्होंने कोलकाता में प्रदर्शन के दौरान विपक्षी एकता की बात करती रही। वे बार -बार कांग्रेस के साथ जाने की बात  रही। अब कांग्रेस को लेकर बीजेपी विरोधी मोर्चा बनाने की बात कर रही है। वे कह रही है कि सबको मिलकर बीजेपी का मुकाबला करना होगा। जाहिर सी बात है कि राहुल गांधी प्रकरण ने देश की विपक्षी राजनीति को बदल दिया है। ममता के स्वर के साथ ही केसीआर के स्वर भी विपक्षी एकता की कहानी कह रहे हैं। जाहिर जब राजनीति करवट लेती है तो माहौल भी बदल जाते हैं और नेताओं के बोल भी बदल जाते हैं।

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