विकास कुमार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे की इजाजत दे दी है। हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी है,और तत्काल सेशन कोर्ट के आदेश का पालन करने यानी सर्वे शुरू करने का ऑर्डर दे दिया है। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया है। अदालत ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा है कि न्याय के लिए यह सर्वे जरूरी है और कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है। हालांकि अदालत ने साफ कर दिया है कि बिना खुदाई किए सर्वे होगी। वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद ने कहा कि वह अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई को सर्वे करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए भी कहा है, कोर्ट ने सर्वे को मंजूरी दे दी है। एएसआई ने अपना हलफनामा दे दिया है। कोर्ट का आदेश आ गया है, ऐसे में अब कोई सवाल नहीं बनता है, हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज किया है।
वहीं हाईकोर्ट के फैसले पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सर्वे से सच्चाई बाहर आएगी , तो सपा के सांसद एसटी हसन ने कहा कि हम अदालत के आदेशों का पालन करेंगे। वहीं बीजेपी नेता मोहसिन रज़ा ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों को आगे आना चाहिए और वार्ता के जरिए कोई न कोई हल निकालना चाहिए।
वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ‘मंदिर हो या मस्जिद, वह सबका एक ही है। आप उसे मंदिर में देखें या मस्जिद में, कुछ फर्क नहीं है। वहीं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हमें उम्मीद है कि न्याय होगा, क्योंकि यह मस्जिद करीब 600 साल पुरानी है और मुसलमान पिछले 600 सालों से वहां नमाज अदा करते आ रहे हैं।
ज्ञानवापी परिसर को लेकर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के अपने अपने दावे हैं। अब एक बार फिर से परिसर का सर्वे शुरु होगा। एएसआई के सर्वे से ही पता चलेगा कि किस पक्ष के दावे में कितना दम है।