नई दिल्ली (अखिलेश अखिल): इस देश में बहुत कुछ नया होता है। करीब आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राज्यपाल की कुर्सी खाली पड़ी है लेकिन वहां नए राज्यपालों की नियुक्ति नहीं हो रही है। प्रभारी राज्यपालों से इन राज्यों की देखभाल कराई का रही है।आश्चर्य तो इस बात की है कि जिन राज्यपालों पर दूसरे राज्य की जिम्मेदारी है ,उनके भी पांच साल गुजर चुके हैं और वे नई नियुक्ति के इंतजार में सेवा देते आ रहे हैं । कहा जा रहा है कि राज्यपालों की नई नियुक्ति में अभी पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह की कोई रुचि नहीं है। वे नही चाहते कि राज्यपालों की नियुक्ति को लेकर पार्टी के भीतर कोई बखेड़ा खड़ा हो। बता दें कि बीजेपी में दर्जन भर से ज्यादा नेता खाली बैठे हैं और समय से पहले उन्हें रिटायर कर दिया गया है। अब इनकी नजर राज्यपाल की कुर्सी तक सीमित है लेकिन मौजूदा सरकार अभी कुछ करने को तैयार नहीं है।
असम के राज्यपाल के रूप में दिल्ली के कभी बड़े नेता रहे जगदीश मुखी अपना पांच साल का कार्यकाल पिछले साल अक्टूबर में ही पूरा कर चुके हैं। मुखी नई नियुक्ति के इंतजार में हैं ताकि वे स्वतंत्र होकर घर वापसी कर सकें। लेकिन राज्यपाल मुखी की चिंता केवल असम की जी नही है। वे नागालैंड के भी प्रभारी हैं। ऐसे में असम और नागालैंड में राज्यपालों की नियुक्ति होनी है लेकिन सरकार अभी कोई फैसला नहीं ले रही है।
इसी तरह अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बीडी मिश्रा का कार्यकाल पिछले साल अक्टूबर में पूरा हो गया। लेकिन वे अपने पद पर हैं और साथ ही मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के रिटायर होने के बाद खाली हुए मेघालय का भी प्रभार संभाल रहे हैं। इस तरह पूर्वोत्तर के चार राज्य हो गए, जहां राज्यपाल की नियुक्ति होनी है।
इसी तरह ओडिशा और यूपी के राज्यपालों के भी पांच साल पूरे जो गए हैं लेकिन वे अभी भी काम सम्हाले हुए हैं। यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पहले मध्यप्रदेश का राज्यपाल 2018 में बनाया गया था। एक साल बाद उन्हें यूपी भेजा गया और तभी से श्रीमती पटेल यूपी की राज्यपाल हैं। उनकी जगह पर नए राज्यपाल को नियुक्ति होगी या फिर इन्हें हो कंटीन्यू किया जायेगा कोई नही जानता। पटेल पीएम मोदी के काफी करीबी नेताओं में शामिल रही है और मोदी जब गुजरात के सीएम थे तो आनंदी पटेल मोदी कैबिनेट में थी। इसके बाद वे गुजरात की सीएम भी रहीं।
जहां तक उप राज्यपालों की बात है तो किरण बेदी के इस्तीफा देने के बाद पिछले करीब दो साल से पुड्डुचेरी के उप राज्यपाल का पद खाली है। तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन अतिरिक्त प्रभार संभाल रही हैं। इसी तरह अंडमान निकोबार में एडमिरल आनंद कुमार जोशी का कार्यकाल पिछले साल अक्टूबर में पूरा हो गया। लक्षद्वीप में दादर नागर हवेली व दमन और दीयू के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ही चंडीगढ़ के भी प्रशासक हैं।
ऐसे में अभी पांच राज्यपाल और पांच उपराज्यपाल की सीट खाली पड़ी है। इन सीटों को भरकर बीजेपी और बीजेपी के भीतर आए बाहरी नेताओं को खुश तो किया ही जा सकता है लेकिन मोदी सरकार अभी चुप्पी साधे बैठी है।