न्यूज़ डेस्क
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का शनिवार रात को निधन हो गया। 57 वर्षीय जीएन साईबाबा को रात आठ बजे दिल का दौरा पड़ने के बाद निजाम हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया, जहां साढ़े आठ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
साईबाबा काफी समय से पित्ताशय में संक्रमण और स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से जूझ रहे थे। साईबाबा माओवादियों से कथित संबंधों के चलते 10 साल जेल में रहने के बाद सात महीने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी हुए थे
साईबाबा को नक्सलियों से कथित संबंध रखने के शक में 2014 में गिरफ्तार किया गया। साईबाबा को महाराष्ट्र की गढ़चिरौली कोर्ट ने मार्च 2017 में दोषी ठहराया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 5 मार्च को साईबाबा और 5 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने उनकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है। उन्हें दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने की इजाजत भी दी गई है।
साईबाबा ने रिहाई के बाद कहा था, ‘मेरी खराब तबीयत के लिए डॉक्टर जो दवाएं देते थे, वो मुझे नहीं दिया जाता था। मैं आज आपके सामने जिंदा हूं पर मेरे शरीर का हर हिस्सा फेल हो रहा है। मुझे जेल के अंदर कई मेडिकल इमरजेंसी हुईं, पर उन्होंने मुझे सिर्फ पेनकिलर्स दिए और कुछ टेस्ट कराए। मैं अब तक मान नहीं पा रहा हूं कि मैं आजाद हो गया हूं। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अब तक उसी जेल में हूं।’