न्यूज़ डेस्क
इस देश के कारोबारी कितने अमानवीय हैं इसकी बानगी मंगलवार को तब सामने आयी जब दवा निर्माता कप्म्पनियों पर सेन्ट्रल और स्टेट रेगुलेटर्स की कार्रवाई हुई। पता चला कि 76 से ज्यादा दवा कंपनियां नकली दवा बनती है और यह धंधा सालों से चल रहा है। कल्पना कीजिये अगर जांच नहीं होती तब यह धंधा चलती रहती। इस कार्रवाई के बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं ? आखिर ये कंपनियां नकली दवाएं किसके इशारे पर बनाती रही है ? सरकार की जांच एजेंसिया आखिर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं करती रही ? क्या किसी को पता है कि नकली दवा के सेवन से कितने रोगियों की जान गई ? सच तो यही है कि हमारे देश में नोट छपने का कारोबार एक संयुक्त प्रयास है जिसमे सरकार के लोग मिलकर आगे बढ़ाते हैं।
जानकारी के मुताबिक नकली दवाओं के निर्माण के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए सेंट्रल और स्टेट रेगुलेटर्स ने 76 दवा कंपनियों पर बड़ी कार्यवाई की है। रेगुलेटर्स ने संयुक्त निरीक्षण में नकली और मिलावटी दवाओं के प्रोडक्शन के लिए उनमें से 18 के लाइसेंस रद्द कर दिए और 26 को कारण बताओ नोटिस जारी किया। सूत्रों के अनुसार पिछले 15 दिनों में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निरीक्षण किए गए।
अभियान के पहले चरण में 76 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, “18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस नकली और मिलावटी दवाओं के निर्माण और ‘जीएमपी’ के उल्लंघन के लिए रद्द कर दिए गए हैं। इसके अलावा, 26 फर्मों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि विशेष अभियान के तहत रेगुलेटर्स ने 203 फर्मों की पहचान की है। अधिकांश कंपनियां हिमाचल प्रदेश (70), उत्तराखंड (45) और मध्य प्रदेश (23) से हैं।
हाल ही में भारत स्थित कंपनियों द्वारा निर्मित दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। फरवरी में, तमिलनाडु स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अमेरिका में दृष्टि हानि से कथित रूप से जुड़े अपने सभी आई ड्रॉप को वापस ले लिया। इससे पहले, पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से कथित तौर पर भारत निर्मित कफ सिरप को जोड़ा गया था।