Homeदेशडिजिटल युद्ध में तब्दील हुआ पांच राज्यों के चुनाव प्रचार ! 

डिजिटल युद्ध में तब्दील हुआ पांच राज्यों के चुनाव प्रचार ! 

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न्यूज़ डेस्क 

चुनाव के रंग ढंग अब विल्कुल ही बदल गए हैं। पहले आदमी से आदमी मिलता था। नेता जनता के बीच जाते थे उनके कार्यकर्त्ता जनता के बीच और पार्टी और नेता का बखान करते थे। देश की बात होती थी लेकिन यह सब नहीं होता। अब  में नए  जमाने में चुनाव प्रचार के लिए नए तकनीक का इस्तेमाल किये जा रहे हैं।   
    पांच राज्यों के चुनाव को गौर से देखें तो भाजपा, कांग्रेस, बीआरएस, आप जैसे राजनीतिक दल राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनाव को सिर्फ जमीन पर लड़ते नहीं दिखेंगे। मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर पर इनके बीच डिजिटल ‘युद्ध’ जैसा माहौल होगा। सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी,एनिमेटेड वीडियो, मीम्स, क्षेत्रीय लोकगीतों के इस्तेमाल की तैयारी में जुटे हैं। अगले सप्ताह तक इसकी शुरुआत हो सकती है। राजनीतिक दल मतदाताओं पर असर डालने के लिए चुनावों में रैलियों के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी काफी काम कर रहे हैं। पार्टियों के साथ नेताओं के अधिकृत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हर दिन वीडियो, मीम्स, ऐनिमेटेड वीडियो अपलोड हो रहे हैं। इन्हें वायरल कर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया टीम 24 घंटे काम कर रही हैं।
                      भाजपा और कांग्रेस विशेष तैयारियों में जुटी हैं। दोनों एआई टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल करेंगी। इसके लिए राजनीतिक दल मतदाताओं की सोशल मीडिया प्रोफाइल, पोस्ट देखकर उनकी प्राथमिकताओं का पता लगा रहे हैं। इसके अनुसार उम्मीदवार और दल अपने संदेश, प्रचार सामग्री तैयार कर उन्हें भेज सकेंगे।
          एआई के जानकारों का कहना है कि एआई तकनीक आने से इस बार प्रचार बदला हुआ दिख सकता है। अब तक चुनावी अभियान के लिए बड़ी संख्या में लेखक और रणनीतिकार रखे जाते रहे हैं जो चुनाव प्रचार के लिए ई-मेल या पोस्ट के वेरिएशन बनाकर मतदाताओं को भेजते थे। इसमें समय और पैसा अधिक लगता था। एआइ से यह काम बहुत तेजी से और सस्ते में हो सकता है।
                          जनरेटिव एआइ से हर मतदाता के लिए व्यक्तिगत संदेश बनाकर भेजा जा सकता है। इससे उम्मीदवार या नेता जनता के साथ बेहतर तरीके से संपर्क कर सकेगा। कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे के नेताओं के कार्टून जैसे चरित्र बनाकर एक-दूसरे की नीतियों पर हमला करने के लिए एनिमेटेड वीडियो का सहारा ले रही हैं। आए दिन इस तरह के वीडियो देखने को मिल रहे हैं।
                     एआइ के जानकारों का कहना है कि एआई तकनीक सस्ती जरूर है लेकिन इसके दुरुपयोग की आशंका भी खूब है। इसकी तकनीक की मदद से किसी भी नेता या उम्मीदवार की वॉइस व इमेज क्लोनिंग कर जनता के बीच फेक जानकारियां भी प्रसारित की जा सकती है। इसको रोकने की चुनौती चुनाव आयोग के सामने बनी हुई है।
                           मतदाताओं के दिमाग पर एनिमेटेड वीडियो और शॉर्ट रील्स गहरा प्रभाव डाल रही हैं। इस तरह के वीडियो और रील्स पार्टियों की ओर से जारी किए जाने लगे हैं। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में ईडी की छापेमारी तो भाजपा ने राजस्थान में बढ़ते अपराधों को लेकर वीडियो जारी किए हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश की सरकारों ने अपने कामकाज और योजनाओं को लेकर कई वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किए हैं।
                     पिछले साल उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनावों में भी पार्टियों ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म फेसबुक, वॉट्सऐप, ट्विटर और इंस्टाग्राम का जमकर इस्तेमाल किया था। इसका प्रमुख कारण यह था कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को लेकर चुनाव आयोग ने परंपरागत रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लगा दिया था। कई दलों ने हर सीट के लिए अलग-अलग वॉट्सऐप ग्रुप बनाए, जहां चुनाव अभियान और उससे संबंधित प्रचार सामग्री शेयर की गई।

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