दिल्ली के प्रसिद्ध ताज पैलेस में आयोजित हो रहे इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में 7 और 8 मार्च को प्रसिद्ध बेस्ट सेलिंग लेखक,एक्टिविस्ट और प्रोफेसर डॉक्टर नाओमी ने आंख खोलने वाला खुलासा किया।गौरतलब है कि डॉक्टर नाओमी फेमिनिज्म ,प्रोग्रेसिव पॉलिटिक्स फार्मास्युटिकल कंपनी के चिंताजनक पहलू खासकर Covid -19 pandemic से जुड़े चिंताजनक मुद्दों की वकालत करते हैं।खासकर उन्होंने बिल गेट्स और फाइजर वैक्सीन के दुरुपयोग पर प्रकाश डालते रहे हैं।
बहस के दौरान डॉक्टर नाओमी ने अपने व्याख्यान में बताया कि किस प्रकार से बिल गेट्स और ऐसी दवा कंपनियों के बीच के दुरभिसंधि पर विशेष रूप से चर्चा की।उन्होंने दावा किया कि बिल गेट्स mRNA इंजेक्शन, जो वैक्सीन निर्माण की एक तकनीक है और जिसमें करोड़ों करोड़ डॉलर रोग नियंत्रण के लिए वैक्सीन के तेजी से निर्माण के नाम पर डाले गए हैं, उनमें एक बड़ा निवेशक हैं। उन्होंने पब्लिक हेल्थ केंपस के तहत बिल गेट्स की दवा के नाम पर किए गए अनैतिक कार्यकलाप को लेकर चिंता प्रकट की ।
अपने नई किताब दी फाईजर पेपर में डॉक्टर नाओमी वोल्फ ने फाईजर के आंतरिक दस्तावेज को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है।उनके अनुसार इन दस्तावजों से एक कष्टकर सच्चाई उजागर किया है कि फाईजर को इस बात की जानकारी थी कि covid -19 वैक्सीन इस बीमारी को लेकर निष्प्रभावी है और इसके प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने समेत अन्य कई हानिकारक साइड इफेक्ट्स डालता है।साथ ही उसने इस बात को छिपाते हुए लोगों को बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन को लेने के लिए मजबूर किया।
डॉक्टर नाओमी वोल्फ ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में इस दस्तावेज का उदाहरण देते हुए भारत में दवा उद्योगों को पारदर्शी और जिम्मेवार बनाने की वकालत की थी। फाइजर जैसी covid – 19 वैक्सीन बनाने वाली कम्पनी के प्रश्न के दायरे में आने को लेकर भारत में वैक्सीन के विकास और वितरण को लेकर एक गंभीर परिचर्चा करने की प्रवृति को हवा दी है।इसे लेकर उनका अंतिम उद्देश्य लोगों को उनके स्वास्थ्य को लेकर सही जानकारी दिलाने की अनिवार्यता है।
डॉक्टर नाओमी वोल्फ के ऐसे खुलासे ने दवा कंपनियों और उनके दवाइयों के क्लिनिकल ट्रायल की व्यापक छानबीन को अधोरेखंकित किया है।उनके द्वारा लगाए जा रहे ऐसे अभियोग का मुख्य उद्देश्य दवा कंपनियों को लेकर पारदर्शिता और जिम्मेवारी तय करवाना है।
बिलगेट्स के ऐसी दवा कंपनियों में निवेश करने और इसे प्रभावित करने के खुलासे ने इसपर कड़े छानबीन और नियमन की आवश्यकता को अधोरेखंकित किया है।ऐसे धनी लोगों के covid -19 वैक्सीन जैसे दवा कंपनियों से जुड़ने और बड़ा शेयर ले लेने से इस बात की चिंता बढ़ गई है कि ये मौद्रिक लाभ के लिए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर सकते हैं।इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 25 में शिरकत करते हुए डॉक्टर नाओमी वोल्फ ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से कॉरपोरेट घराने के प्रभाव और जनस्वास्थ्य के दुरूपयोग रोकने को लेकर पुनर्नियमन के लिए लोगों को जागरूक किया जा सके।
वही फाइजर कंपनी के भारतीय अध्यक्ष मीनाक्षी निविता ने इस बात को दुहराते हुए कहा कि बहुराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को देखते हुए उनकी कंपनी मेक इन इंडिया कार्यक्रम को हाइलाइट करती है।इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी के भारत में बेचे जाने वाले उत्पादों का 70 प्रतिशत निर्माण भारत में ही हो रहा है।उन्होंने बताया कि उनका मुख्य प्लांट गोवा में हैं तथा उनके 18 संविदा आधारित साझेदार पूरे देश में फैले हुए हैं।उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी भारत में अपने रिसर्च एंड डेवलेपमेंट विभाग को बढ़ा रही है,जिसमें देशभर में फिलहाल 1500 लोग कार्यरत हैं।मेरी कंपनी के रिसर्च एंड डेवलेपमेंट विभाग का मुख्य केंद्र चेन्नई में है और इसका IIT मद्रास के साथ अनुबंध है। निवीता के अनुसार फाइजर अपने कुछ कैंसर उत्पादन केंद्र को ऑस्ट्रेलिया से गुजरात शिफ्ट करने वाली है।कंपनी वयस्कों के टीकाकरण कार्यक्रमों पर भी ध्यान दे रही है।वैसे फिलहाल कुछ रोगों को लेकर इनका अडल्ट वैक्सीनेशन कार्यक्रम चल रहे है।