अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेंसिल्वेनिया में एक इस्पात संयंत्र में घोषणा की है कि स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को 25% से बढ़ाकर 50% किया जाएगा।यह फैसला अमेरिकी इस्पात उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के इरादे से लिया गया है, लेकिन इससे निर्माण लागत में भारी बढ़ोतरी का खतरा मंडरा रहा है।
अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर ट्रंप ने कहा कि यह बढ़े हुए शुल्क बुधवार 4 जून 2025 से लागू हो जाएंगे। यह फैसला उनके संभावित दूसरे कार्यकाल की नीतियों की झलक देता है, जहां वह अमेरिका फर्स्ट की रणनीति को फिर से लागू करने की तैयारी में हैं।
ट्रंप ने पहले जापानी कंपनी निप्पॉन स्टील द्वारा अमेरिकी स्टील कंपनी की खरीद का विरोध किया था, लेकिन अब वे एक आंशिक स्वामित्व वाले सौदे का समर्थन कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि हम इस ब्लॉकबस्टर समझौते का जश्न मना रहे हैं, ताकि यूएस स्टील एक अमेरिकी कंपनी बनी रहे।
कीमतों में पहले ही 16% की वृद्धि
शुल्क बढ़ने से पहले ही अमेरिका में इस्पात की कीमतों में 16% की बढ़ोतरी हो चुकी है। अमेरिका में स्टील की कीमत मार्च 2025 तक 984 डॉलर प्रति टन तक पहुंचने की संभावना है, जो यूरोप (690 डॉलर) और चीन (392 डॉलर) से कहीं अधिक है।
ट्रंप के इस फैसले से भारत जैसे देशों के निर्यातकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार, भारतीय स्टील और एल्युमीनियम निर्यातक अपनी लाभप्रदता गंवा सकते हैं, क्योंकि उन्हें अब अमेरिकी बाजार में अधिक शुल्क देना होगा।
भारत ने पहले ही विश्व व्यापार संगठन में इस विषय पर आपत्ति जताई थी और संकेत दिए हैं कि यदि अमेरिका शुल्क बढ़ाता है, तो भारत भी अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगा सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले दिनों में भारत-अमेरिका व्यापार तनाव और बढ़ सकता है।
ट्रंप द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क दोगुना करने का फैसला वैश्विक व्यापार को अस्थिर कर सकता है। जहां इससे अमेरिका में घरेलू उद्योग को लाभ मिल सकता है, वहीं भारत जैसे निर्यातक देशों के लिए यह नई चुनौती बनकर सामने आया है।आने वाले सप्ताहों में अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रिश्तों में बदलाव देखे जा सकते हैं।