विकास कुमार
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को बैन करने के मामले पर सुनवाई करते हुए बड़ा बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनका जो पिछला आदेश था वो केवल दिल्ली भर के लिए नहीं था। पटाखों को बैन करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरे देश के लिए था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने अपने पुराने आदेश में पटाखों पर पूर्ण रोक का मसला स्थानीय सरकार पर छोड़ा था। लेकिन हॉस्पिटल जैसी संवेदनशील जगहों पर पटाखे न चलाने या पटाखे चलाने की समय सीमा तय करने के लिए कहा था। एनसीआर में आने वाले राजस्थान के इलाकों के लिए दिल्ली-एनसीआर वाले नियम लागू होंगे,यानी पटाखों पर रोक रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस समय की जब वह दिल्ली एनसीआर के लोग प्रदूषण से जूझ रहे हैं। पंजाब में पराली जलाने को लेकर भी अदालत ने अपना रूख साफ किया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ये सिर्फ अदालत का काम नहीं है कि वह प्रदूषण को रोके,बल्कि ये सभी की जिम्मेदारी है खासकर सरकार की सबसे ज्यादा जवाबदेही है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर कहा कि सरकार पराली जलाना रोके। वह पराली जलाना कैसे रोकती है इसके बारे में वह नहीं जानते पर पंजाब सरकार पराली जलाना रोके। ऐसा हर समय नहीं हो सकता है कि आप हमेशा राजनीतिक लड़ाई लड़ते रहें। राजस्थान और अन्य राज्य सरकारों को भी उनके पहले के आदेशों पर अमल करना होगा। हमारा आदेश सिर्फ एक राज्य या दिल्ली एनसीआर तक सीमित नहीं है। यह पूरे देश पर लागू है, जिन राज्यों में भी प्रदूषण है वहां की राज्य सरकारें इसका समाधान स्थानीय स्तर पर करने के लिए कदम उठाएं। प्रदूषण का नियंत्रण करना सिर्फ राज्य सरकार का ही कर्तव्य नहीं है।
वायु प्रदूषण से कई गंभीर किस्म की जानलेवा बीमारी होती है। इसलिए समाज,सिविल सोसायटी और सरकार को मिलकर प्रदूषण पर रोक लगाना चाहिए।