लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कोलंबिया में देश के लोकतंत्र और भारत-चीन के रिश्तों को लेकर बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं।कांग्रेस नेता ने कहा कि हम चीन की तरह लोगों को दबा नहीं सकते हैं।
कोलंबिया के ईआईए यूनिवर्सिटी में एक संवाद कर्यक्रम में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि भारत में कई धर्म, परंपराएं और भाषाएं हैं।एक लोकतांत्रिक व्यवस्था सभी के लिए जगह प्रदान करती है, लेकिन इस समय लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हर तरफ से हमला हो रहा है।
कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या अगले 50 वर्षों में भारत और चीन दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं? इस पर उन्होंने कहा कि मुझे चीन के बारे में तो नहीं पता, लेकिन मुझे नहीं लगता कि भारत खुद को दुनिया का नेतृत्व करने वाला मानता है।भारत, चीन का पड़ोसी और अमेरिका का घनिष्ठ साझेदार है। हम ठीक उस जगह पर बैठे हैं जहां दोनों ताकतें आपस में टकरा रही हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, कि भारत दुनिया को बहुत कुछ दे सकता है और वह बेहद आशावादी हैं, लेकिन साथ ही भारतीय ढांचे में भी कुछ खामियां और जोखिम हैं जिनसे भारत को पार पाना होगा।सबसे बड़ा जोखिम लोकतंत्र पर हो रहा हमला है। भारत अपने सभी लोगों के बीच संवाद का केंद्र है. विभिन्न परंपराओं, धर्मों और विचारों को जगह की जरूरत होती है और उस जगह को बनाने का सबसे अच्छा तरीका लोकतांत्रिक व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि दूसरा जोखिम देश के विभिन्न हिस्सों के बीच दरार है। करीब 16-17 अलग-अलग भाषाएं और अलग-अलग धर्म हैं। इन विभिन्न परंपराओं को पनपने देना, उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की जगह देना, भारत के लिए बहुत जरूरी है। हम वो नहीं कर सकते जो चीन करता है- लोगों को दबाना और एक सत्तावादी व्यवस्था चलाना।हमारी व्यवस्था इसे स्वीकार नहीं करेगी।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत में आर्थिक विकास के बावजूद हम नौकरियां देने में असमर्थ हैं क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था सर्विस सेक्टर पर निर्भर है और हम मैन्युफैक्चरिंग में असमर्थ हैं। अमेरिका में ट्रंप के साथ ज्यादातर लोग वे हैं जिन्होंने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अपनी नौकरियां खो दी हैं।चीन ने एक गैर-लोकतांत्रिक वातावरण में उत्पादन का प्रदर्शन किया है, लेकिन हमें एक लोकतांत्रिक ढांचे की जरूरत है। हमारे लिए चैलेंज लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर मैन्युफैक्चरिंग का एक ऐसा मॉडल विकसित करने का है, जो चीन को टक्कर दे सके।