दिल्ली में सरकार बदलने का सीधा असर कानूनी विवादों पर पड़ा है।रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 7 मुकदमे वापस ले लिए हैं। यह केस पिछली आम आदमी पार्टी सरकार ने केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के खिलाफ दाखिल किए थे।
दिल्ली सरकार की तरफ से शुक्रवार को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच से पुरानी सरकार की तरफ से दाखिल याचिकाएं वापस लेने की अनुमति मांगी और कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया। दिल्ली सरकार ने जिन याचिकाओं को वापस लिया है, उनमें से सभी केंद्र और उपराज्यपाल (एलजी) के अधिकारों को चुनौती देते हुए दाखिल की गई थीं। इनमें से एक याचिका नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उस आदेश के खिलाफ थी जिसमें एलजी को यमुना सफाई कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था।
दिल्ली में ग्रुप ‘ए’ अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए केंद्र सरकार की तरफ से सिविल सर्विस अथॉरिटी बनाने को एक याचिका में चुनौती दी गई थी।इसी तरह एक याचिका दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर दाखिल हुई थी।
दिल्ली जल बोर्ड के लिए अतिरिक्त फंड की मांग, एलजी की सहमति के बिना नियुक्त वकीलों के लिए वेतन और हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट में वकीलों की नियुक्ति का अधिकार मांगना जैसी बातें भी वापस ली गई याचिकाओं में शामिल हैं। दिल्ली सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अब यह विवाद सुप्रीम कोर्ट का समय नहीं लेंगे।इस पर चीफ जस्टिस ने मुस्कुराते हुए उन्हें सभी याचिकाएं वापस लेने की इजाजत दे दी।