विकास कुमार
कोविड-19 महामारी के बाद सरकार ने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन अभियान चलाया था। देश में लोगों को वैक्सीन की 2 अरब से ज्यादा डोज दी गई। मगर, पिछले एक से डेढ़ साल के भीतर देश में युवाओं की हार्ट अटैक से मौत होने के कई सारे मामले सामने आए हैं। ऐसे में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी कि कहीं इसके पीछे की वजह वैक्सीन तो नहीं है क्योंकि युवाओं को भी लगातार हार्ट अटैक के ढेर सारे मामले आए। लेकिन अब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर ने एक रिपोर्ट जारी किया है।
आईसीएमआर ने हाल ही में एक स्टडी की है। स्टडी में इस सवाल का जवाब ढूंढा गया है कि क्या कोविड वैक्सीन और अचानक हो रही मौतों के बीच में कोई संबंध है? अपनी स्टडी के जरिए आईसीएमआर ने दावा किया है कि भारत में कोविड-19 वैक्सीन की वजह से युवाओं की अचनाक मौत होने का जोखिम नहीं बढ़ा है। इसमें कहा गया है कि लाइफस्टाइल में बदलाव ने अचानक होने वाली मौत की संभावना को बढ़ा दिया है।
आईसीएमआर की स्टडी में बताया गया है कि वैक्सीन की वजह से अचानक होने वाली मौत के साथ कोई संबंध नहीं है। इसमें बताया गया है कि अगर किसी ने वैक्सीन की कम से कम एक डोज ली है तो उस पर कोरोना वायरस से होने वाली मौत का खतरा कम हो जाता है। स्टडी में अचानक मौत के कुछ कारणों की चर्चा की गई है। अस्पताल में भर्ती होने के इतिहास और अचानक मौत के पारिवारिक इतिहास को एक कारण माना गया है। वहीं मौत से पहले 48 घंटे तक शराब पीना, ड्रग्स लेना या फिर मौत से 48 घंटे पहले जबरदस्त एक्सरसाइज करने जैसे कुछ ऐसे फैक्टर्स हैं, जिनसे अचानक मौत का खतरा बढ़ जाता है।
आईसीएमआर की तरफ से इस स्टडी को 1 अक्टूबर, 2021 से लेकर 31 मार्च, 2023 तक किया गया। इसमें देशभर के 47 अस्पतालों को शामिल किया। स्टडी के लिए 18 से 45 साल की उम्र के उन लोगों को शामिल किया गया, जो स्पष्ट रूप से स्वस्थ थे। स्टडी में पता चला कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दो डोज ली थी, उनमें अचनाक होने वाली मौत का खतरा बेहद कम था।
कई एक्सपर्ट्स आईसीएमआर की स्टडी को संदेह भरी निगाहों से देख रहे हैं क्योंकि जिस तादाद में लोगों की मौत हुई है उस पर देश और दुनिया में चिंता की लहर है। लेकिन आईसीएमआर ने एक तरह से वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को क्लीन चिट दे दिया है।