इन दिनों ज्यादातर राजनीतिक दलों के लिए येन केन प्रकारेण चुनाव जीतकर सत्ता शिखर पर पहुंचना ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है। देश सेवा और जन सेवा की भावना भी अब ज्यादातर राजनीतिक दलों के नेताओं के दिलों में नहीं बसते ,बल्कि अब इनका हृदय धड़कता है,विभिन्न लुभावने वायदों से जनता को भरमाकर और उनकी आंखों में धूल झोंक कर उनका वोट प्राप्त कर सत्ता हासिल करने के लिए,ताकि सत्ता में रहते हुए वे अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध तरीकों से बड़ी- बड़ी संपत्तियां बना सकें।
सता लोलुपता के वशीभूत इन राजनीतिक दलों का कोई स्थायी सिद्धांत नहीं होता है, बल्कि चुनाव के समय मतदाताओं को भरमाने के लिए , ये लोक लुभावने वायदे वाले घोषणा पत्र को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच जाते हैं।अक्सर यह देखा जाता है कि जब जनता इनके घोषणापत्र वाले वायदों पर भरोसा कर इन्हें जीत दिला देते हैं, तब ये जनता को भूल कर अपनी कमाई में लग जाते हैं।
राजनीति में मूल्यों और आदर्शों की तेजी से गिरावट के इस दौर में उदय भारतम् नाम की एक ऐसी पार्टी का सृजन हुआ है, जो मूल्यों और सिद्धांतों की राजनीति पर विश्वास करती है। चुनाव से पूर्व ही इसने अपने 10 सिद्धांतों की घोषणा कर दी है।इन सिद्धांतों के आधार पर ही यह पार्टी भारत को सही मायने में एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, लोकतंत्रात्मक, लोक कल्याणकारी, समृद्ध गणराज्य बनाने के लिए चल पड़ा है। उदय भारतम् पार्टी के 10 सिद्धांतों में से एक सिद्धांत सनातन भारतम् है।
उदय भारतम् पार्टी के अनुसार ‘सनातन भारतम्’ सनातन दर्शन और सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से अंतर्निहित एक गहन अवधारणा का प्रतिनिधित्व करता है। यह सनातन द्वारा प्रतीकित, कालातीत सार और ”भारतम् ‘द्वारा संपुटित भारत की प्राचीन पहचान से लिया गया है, जो अस्तित्व के विभिन्न आयामों को प्रदर्शित करता है।यह सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देते हुए वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत का समर्थन करता है और सहिष्णुता तथा विविधता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है। सनातन भारतम् अखंडता न्याय और करुणा पर आधारित शासन सिद्धांत प्रदान करता है, जैसा की अर्थशास्त्र जैसे ग्रंथों में उदाहरण दिया गया है। इसके अलावा यह विभिन्न गुणों और संदर्भों में अपने कालातीत मूल्यों और सिद्धांतों को दृढ़ता से बनाए रखते हुए पर्यावरणीय प्रबंधन और उभरती सामाजिक जरूरतों के अनुकूल होने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह सभी धर्मों की समावेशिता पर जोर देता है। यह मानता है कि ईश्वर एक है, भले ही उसे अलग-अलग लोग, अलग-अलग नामों से जानते हों, यह आपसी सम्मान को बढ़ावा देता है। कला साहित्य संगीत और त्योहारों में भारत की प्रचुर सांस्कृतिक विरासत को पहचानते हुए, सनातन भारतम् प्राचीन संतों और विचारकों के अमूल्य योगदान का सम्मान करता है। यह धर्म के महत्व, नैतिक आचरण की वकालत और सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति पर जोर देता है।