संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी उस वक्त सुर्खियों में आ गईं, जब वह एक कुत्ते को अपनी कार से संसद परिसर तक ले गईं। उनका कहना था कि रास्ते में उन्होंने सड़क हादसे के बाद घायल एक कुत्ते को देखा, जिसके बचाव के लिए उन्होंने उसे अपनी कार में बैठाकर संसद तक ले आईं। इस पर विवाद हुआ तो उन्होंने उन्होने कहा- जो काटते हैं, वे अंदर बैठे हैं।
उनके इस बयान और कुत्ते को लेकर संसद में दाखिल करने के इस कदम पर विरोधियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। सत्ताधारी दल ने इसे संसद और सांसदों का अपमान करार देते हुए कहा कि यह तमाशा है और संसदीय मर्यादा का उल्लंघन है। अब खबर है कि राज्य सभा इस मामले को विशेषाधिकार का उल्लंघन मानकर उनके खिलाफ एक विशेषाधिकार प्रस्ताव (privilege motion) लाने पर विचार कर रही है।
इस बारे में जब रेणुका चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने जवाब में भौं-भौं कह दिया और चलती बनीं। हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि लोग प्रदूषण से मर रहे हैं और किसी को इसकी चिंता नहीं है। BLO आत्महत्या कर रहे हैं, उनके परिवार बर्बाद हो रहे हैं और उन्हें उनकी कोई चिंता नहीं है। लेबर कानून हम पर थोपे जा रहे हैं। संचार साथी ऐप हम पर थोपा जा रहा है। लेकिन रेणुका चौधरी के कुत्ते ने सबको परेशान कर दिया है। अब मैं क्या कहूं? मैं जानवरों का ख्याल रखना जारी रखूंगी। ऐसा कोई कानून नहीं है जो कुत्तों को संसद परिसर में घुसने से रोकता हो।
उन्होंने पूर्व पीएम अटल बिहार वाजपेयी का उदाहरण देते हुए आगे कहा- अटल बिहार वाजपेयी भी एक बार बैलगाड़ी पर आए थे… कुत्ते इतने वफादार होते हैं, लेकिन ये लोग वफादारी के बारे में क्या जानते हैं… क्या किरेन रिजिजू अब हमें कैरेक्टर सर्टिफिकेट दे रहे हैं? पहले अपनी पार्टी में देखो। आपके मंत्री किसानों पर अपनी गाड़ियां चढ़ाकर उन्हें मार देते हैं। रिजिजू जी को हमें कैरेक्टर सर्टिफिकेट देने से पहले अपनी पार्टी पर काम करना चाहिए। मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाया जा रहा है।अगर उनके पास इतना समय है, तो उन्हें जो करना है करने दो।मुझे क्यों चिंता करना।
