न्यूज़ डेस्क
शरद पवार अडानी के मसले पर कांग्रेस की जेपीसी की मांग पर नरम पड़ते दिख रहे हैं। पहले उन्होंने कहा था कि जेपीसी की मांग की कोई जरूरत नहीं है। इसके बाद यह कहानी सामने आयी कि शरद पवार बीजेपी को बचा रहे हैं। एक कहानी यह भी सामने आयी कि महाराष्ट्र गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है और यह टूट भी सकता है। लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने जेपीसी की मांग पर सख्ती अख्तियार किया शरद पवार के बयां बदल गए। नरम पड़ते दिख रहे पवार ने मंगलवार को एक निजी टेलीविजन चैनल से कहा कि अगर उनके सहयोगियों (गठबंधन के सहयोगियों) को लगता है कि यह आवश्यक है तो वह संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच का विरोध नहीं करेंगे।
एक मराठी चैनल पर बोलते हुए पवार ने कहा कि एक दोस्त की राय मेरे से अलग हो सकती है, लेकिन हमें इस पर एकजुट होना होगा, मैंने अपने विचार व्यक्त किए। लेकिन अगर सहयोगियों को लगता है कि जेपीसी जांच की जरूरत है, तो मैं इसका विरोध नहीं करूंगा। हो सकता है मैं उनसे सहमत न होऊं, लेकिन विपक्ष की ताकत को प्रभावित नहीं होने दूंगा।
साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि देश में 19 विपक्षी दल अडाणी समूह घोटाले की जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि एलआईसी, एसबीआई और ईपीएफओ के फंड को अडानी समूह में अवैध रूप से निवेश किया गया है। यह लोगों की गाढ़ी कमाई है और इसका लेखा-जोखा प्राप्त करने का आधिकार है। अगर इसमें सच्चाई सामने लानी है तो यह जेपीसी जांच से ही सामने आ सकती है।
उन्होंने बताया कि तथाकथित बोफोर्स मामले, शेयर बाजार घोटाले और शीतल पेय मुद्दे के लिए पहले कई जेपीसी स्थापित की गई थीं, जिसकी अध्यक्षता पवार कर रहे थे। पटोले ने मीडियाकर्मियों को बताया कि अगर अडानी ग्रुप घोटाले में वाकई कोई दम नहीं है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेपीसी जांच से क्यों डर रहे हैं? उन्होंने कहा कि नगालैंड सरकार या कुछ अन्य स्थानीय निकायों में भाजपा के साथ राकांपा के गठबंधन के बावजूद कांग्रेस एमवीए के माध्यम से भाजपा की तानाशाही के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगी।