Homeदेशक्या आपराधिक मामलों की जांच कर सकती है आचार समिति ?

क्या आपराधिक मामलों की जांच कर सकती है आचार समिति ?

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न्यूज़ डेस्क

पैसा लेकर सवाल पूछने के मामले में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा के साथ आगे क्या होगा यह तो कोई नहीं जानता लेकिन महुआ इस लड़ाई को बड़े स्तर पर लड़ने को तैयार है। महुआ को 2 नवम्बर को एथिक्स समिति के सामने पेश होना है लेकिन उन्होंने समिति के सामने जाने से पहले ही सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इस तरह के आपराधिक मामलों की जाँच यह आचार समिति कर सकती है ? उन्होंने कहा कि वह अपने खिलाफ शिकायत करने वाले वकील और हलफनामा देने वाले उद्यमी से जिरह करना चाहती हैं।
                  मोइत्रा ने आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर को मंगलवार को प्रेषित पत्र को बुधवार को सोशल मीडिया पर जारी करते हुए लिखा कि चूंकि समिति ने उन्हें जारी समन को सार्वजनिक किया है, इसलिए वह समिति को लिखे अपने पत्र को सार्वजनिक कर रही हैं।उन्होंने लिखा है कि उनके खिलाफ शिकायत करने वाले वकील जय अनंत देहाद्रई और स्वत: हलफनामा दाखिल करने वाले कारोबारी दर्शन हीरानंदानी ने आरोपों के संबंध में दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये हैं, इसलिये उन्हें देहाद्रई और हीरानंदानी के साथ जिरह करने की अनुमति दी जाये।
                      मोइत्रा ने कहा है कि शिकायतकर्ता देहाद्रई ने आरोपी के समर्थन में कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये हैं और उन्होंने मौखिक गवाही के समय भी कोई साक्ष्य नहीं दिया है। ऐसे में नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत है कि उन्हें देहाद्रई से जिरह करने की अनुमति मिलनी चाहिये। उन्होंने कहा कि वह उनके खिलाफ हलफनामा देने वाले हीरानंदानी के साथ भी जिरह करना चाहती हैं।उन्होंने कहा, “ मैं यहां यह बात रिकॉर्ड पर लाना चाहती हूं कि मैं समिति से लिखित रूप में यह उत्तर चाहती हूं कि वह इस तरह की जिरह की अनुमति दे रही है, या नहीं। मैं उसके फैसले को भी रिकॉर्ड पर दर्ज करवाना चाहती हूं। ”
                          मोइत्रा ने कहा है कि उनके खिलाफ आरोप आपराधिक किस्म के हैं, “ मैं आपको सम्मान याद दिलाना चाहती हूं कि आपराधिक विषय संसदीय समितियों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते और उन्हें आपराधिक कृत्य संंबंधी आरोपों की जांच का अधिकार नहीं है। इस तरह की जांच केवल कानून का प्रवर्तन करने वाली एजेंसियां ही कर सकती हैं। ”
                 मोइत्रा ने समिति पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने विजया दशमी समारोहों में व्यस्तता के मद्देनजर पांच नवंबर के बाद हाजिर होने का समय मांगा था, पर उन्हें यह छूट नहीं मिली जबकि दानिश अली वाले गंभीर प्रकरण में रमेश बिधूड़ी को 10 अक्टूबर काे समिति के सामने पेश होने का समन भेजा था और उन्होंने राजस्थान में चुनाव प्रचार में अपनी व्यस्तता दिखाकर उस तारीख पर पेशी से छूट ले ली और अब तक कोई नयी तारीख नहीं तय की गयी है।

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