विकास कुमार
बिहार की सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी आलाकमान ने कुछ बेहद अहम फैसले लिए हैं। खास कर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार की बागडोर अपने हाथ में ले ली है। क्योंकि 2024 में बीजेपी का मिशन तभी पूरा हो पाएगा जब बिहार में उसे सफलता मिले। लेकिन नीतीश बाबू के यू टर्न लेने के बाद से बिहार की राजनीति में बीजेपी पूरी तरह से अलग थलग पड़ गई है। इसके बाद बीजेपी ने नीतीश बाबू के कोर लव कुश वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर गंभीरता से काम किया है।
इसी सिलसिले में पहले उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश बाबू से दूरी बनाई। माना जाता है कि कहीं ना कहीं कुशवाहा की बगावत को शह बीजेपी से ही मिली है। वहीं अब बीजेपी ने सम्राट चौधरी को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। ये दोनों कदम कुशवाहा वोटरों को रिझाने के लिए उठाया गया है। गौर करें तो नीतीश बाबू का आधार वोट बैंक कुर्मी और कुशवाहा जाति में सिमटा हुआ है। अगर इस वोट बैंक से कुशवाहा को अलग कर दिया जाए तो जेडीयू के साथ ही महागठबंधन को भी 2024 में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इधर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलते ही सम्राट चौधरी ने लालू नीतीश पर जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है।
2025 में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं सम्राट चौधरी!
सम्राट चौधरी एक तरह से 2025 में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बन गए हैं। ये बात पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भांप लिया है। इसलिए उन्होंने बीजेपी पर महतो जाति को तवज्जो देने का आरोप लगाया है। वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव युवाओं के आक्रोश को थामने की कोशिश में लगे हैं। तेजस्वी बार बार दस लाख नौकरी और दस लाख रोजगार देने का वादा दोहराते रहते हैं।
साफ है कि बीजेपी ने बिहार की तीसरी सबसे बड़ी जाति कुशवाहा को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम तेज कर दिया है। हालांकि ये वक्त ही बताएगा कि बीजेपी अपनी रणनीति में किस हद तक कामयाब हो पाएगी।